Bihar News: बिहार के रोहतास जिले के धनसा और रेहल गांव में जहां कभी नक्सलियों की बंदूके गरजती थी, खून-खराबा होता था, वहां अब किताबें जिंदगी की राह दिखा रही है. यह बदलाव 1500 फुट की ऊंचाई पर कैमूर पहाड़ी पर बसे धनसा व रेहल गांव में नजर आ रहा है. दोनों गांवों में अब सुबह होते ही वनवासियों के बच्चे लाइब्रेरी में पढ़ने पहुंच रहे है.
दोनों गांवों में नि:शुल्क पुस्तकालय एसपी आशीष भारती के नेतृत्व में खोला गया है. पुस्तकालय में पहली से आठवी तक की किताबों के साथ-साथ यूपीएससी व बीपीएससी की तैयारी के लिए भी अध्यन सामग्री रखी गयी है. यह पहल सामुदायिक पुलिसिंग के तहत की गयी है.
पुस्तकालय में गांव के ही दो ऐसे व्यक्ति रखे गये है, जो नि:शुल्क सेवा दे रहे है. यहां पढ़ने आने वाले बच्चों व युवाओं का रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता है. एसपी ने पुस्तकालयों की देखरेख के लिए एक कमेटी भी बनायी है. इसमे स्थानीय थानाध्क्ष, एसएसबी के कमांडेट व पुस्तकालय मे नि:शुल्क सेवा देनेवाले शामिल है. कमेटी हर माह पुस्तकालय का जायजा लेगी.
धनसा गांव के मध्य विद्यालय, जिसमें पुस्तकालय खोला गया है, उस पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में नक्सलियों ने मोर्टार से हमला किया था. इस हमले में सीआरपीएफ का एक जवान घायल हो गया था. वही, रेहल गांव, जहां दूसरा पुस्तकालय खुला है, वहां 2002 में डीएफओ संजय कुमार सिंह की नक्सलियों ने हत्या कर दी थी.
Posted by: Radheshyam Kushwaha