अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद प्रति दिन नए- नए खुलासे हो रहे हैं. दोनों की मौत के बाद भले ही उनके आतंक का अंत हो गया हो. लेकिन पुलिस की फाइलों में बंद उनकी कुंडली प्रति दिन अब सामने आ रहे हैं. अतीक अहमद और उसका भाई अशरफ ने हिन्दू ही नहीं मुस्लिमों पर खूब अत्याचार किए थे.अतीक अहमद के गुनाहों कीं जांच करने वाले रिटायर्ड इंस्पेक्टर नारायण सिंह परिहार ने उससे जुड़ी कुछ कहानी की चर्चा करते हुए कहते हैं कि अतीक अहमद बहुत पावरफुल था. प्रयागराज में कोई उसके खिलाफ कुछ नहीं बोला करता था. वो जब चलता था तो उसके साथ उसका पूरा काफिला चलता था.
2007 में हुए मदरसा कांड की चर्चा करते हुए नारायण सिंह इंडिया टीवी से कहते हैं कि अतीक के भाई अशरफ ने वर्ष 2007 में मदरसे से तीन लड़कियों को उठाया. तीनों लड़कियों को पूरी रात अपने साथ रखा. उनके साथ घिनौनी हरकत की थी. फिर तीन लड़कियों को मदरसे के बाहर छोड़ दिया था. इस घटना के बाद प्रयागराज में हंगामा मचा. आरोपी के खिलाफ केस भी दर्ज हुए. मुकदमा कोर्ट में भी गया,गवाही भी हुई लेकिन बाद में गवाह पलट गए. क्योंकि अतीक अहमद और उसके गुर्गों ने लड़कियों के माता-पिता और रिश्तेदारों को परेशान करना शुरु कर दिए थे, इसलिए गवाह पलट गए और केस नहीं बन पाया. नारायण सिंह ने इंडिया टीवी से बातचीत में कहा कि मैं जब जांच कर रहा था तो मुझे धमकियां मिली थी. कुछ लोग हमदर्दी में आकर भी कहते थे कि सांसद जी से मत उलझो लेकिन मैं अपना काम लगातार करता रहा.
नारायण सिंह कहते हैं कि अतीक अहमद के डर से वर्ष 2011 में वे खुद प्रयागराज से ट्रांसफर लेकर कानपुर आ गया था. क्योंकि समाजवादी पार्टी की सरकार आने वाली थी. मुझे और मेरे परिवार को डर लगने लगा था. इसलिए हम लोग कानपुर चल आए थे. लेकिन यहां पर भी उसने अपने प्रभाव से मुझे थाने से भी हटवा दिया और दफ्तर में मेरी नौकरी लगवा दी. उनका कहना है कि अतीक के घर की औरतें भी अपराध में संलिप्त रहा करती हैं.