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गोपालगंज में चल रहे संदिग्ध ट्रेनिंग सेंटर की जांच करने पहुंची ATS, खंगाल रही बांग्लादेश और PFI कनेक्शन

बिहार के गोपालगंज में चल रहे संदिग्ध ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशासन द्वारा ताबड़तोड़ छापेमारी कर युवकों में हिरासत में लिया गया था. अब इस मामले की जांच एटीएस ने अपने हाथ में ले ली है. एटीएस ने हिरासत में लिए गए युवकों से पूछताछ की है. पढ़ें पूरी खबर..

By Anand Shekhar | September 14, 2023 7:41 PM

गोपालगंज के जादोपुर रोड स्थित किराये के मकान में चल रहे संदिग्ध ट्रेनिंग सेंटर की जांच अब पटना से पहुंची एटीएस की टीम ने संभाल ली है. एटीएस की टीम ने ट्रेनर समेत चार लोगों को हिरासत में लेकर घंटों पूछताछ की. हालांकि पूछताछ के बाद सभी को छोड़ दिया गया. ट्रेनिंग लेने वाले अधिकतर पूर्णिया, किशनगंज, कटिहार, अररिया, पं-बंगाल के रहने वाले युवक बताए जा रहे हैं. युवकों के पास से जब्त किये गये एक दर्जन मोबाइल फोन और दो लैपटॉप के डेटा की तकनीकी जांच की जा रही है. टीम ने बुधवार की रात में ही ट्रेनिंग सेंटर व उसके कार्यालय पर पहुंचकर मुआयना किया. एटीएस की जांच की पुष्टि पुलिस कप्तान स्वर्ण प्रभात ने की है.

बांग्लादेश व पीएफआई कनेक्शन को खंगाला जा रहा

एटीएस की टीम ने ट्रेनरों के अलावा ट्रेनिंग लेने वाले युवकों से भी पूछताछ की है. टाउन थाने के इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार राय टीम के साथ हर जगह मौजूद थे. संदिग्धों के बांग्लादेश व पीएफआई कनेक्शन को भी खंगाला जा रहा है. नगर थाने की पुलिस ने जिन 36 लोगों को हिरासत में लेकर जांच की थी, उन्हीं लोगों से पूछताछ की गयी है. बताया जा रहा है कि दो हजार युवाओं को ट्रेनिंग दी जा रही थी, जिसमें से पुलिस की कार्रवाई के बाद 60 फीसदी युवक भाग गये हैं.

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नोटबुक व डायरी में लिखे कोड की जांच शुरू

जादोपुर रोड से युवकों के पास से जब्त की गयी डायरी व नोट बुक में उनको कोडवर्ड में ट्रेनिंग देने की जांच एटीएस ने अपने स्तर से शुरू कर दी है. कोड वर्ड को स्कैन कर उसे डिकोड करने और अन्य जांच के लिए हाइलेवल एजेंसी को भेजा गया है. कोडवर्ड को लेकर पूछताछ में कुछ युवकों के बयान में अंतर मिले हैं.

पं बंगाल व सीमांचल के रहने वाले दो हजार युवक ले रहे थे ट्रेनिंग

जादोपुर रोड में पेट्रोल पंप और लखपतिया मोड़ के पास दो हॉल में कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, पश्चिम बंगाल के बॉर्डर इलाके के जिलों के रहनेवाले दो हजार से अधिक युवकों को ट्रेनिंग दी जा रही थी. ट्रेनिंग लेने वाले सभी 17 से 22 वर्ष की उम्र वाले थे. इसकी जानकारी सामने आने के बाद डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी व एसपी स्वर्ण प्रभात ने मामले की जांच के लिए एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार, एसडीपीओ प्रांजल, सीओ राकेश कुमार, इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार राय की टीम गठित कर तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था.

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आयुर्वेदिक दवा ट्रेनिंग का बनाया गया था मुखौटा

छापेमारी में शामिल एक अधिकारी की मानें, तो जो हर्बल दवाएं ट्रेनिंग सेंटर के कार्यालय से जब्त की गयीं, वह लोगों को मूर्ख बनाने वाला था. तुलसी, शैंपू, फूड टॉनिक जिससे लोगों को ठगा जा सकता है. पुलिस सूत्रों का मानना है कि ऐसी कंपनी का इतना बड़ा ट्रेनिंग देना अपने-आप में अपराध है. दवा की नेटवर्किंग तो महज दिखावा हो सकती है, अब तो जांच से ही सब कुछ खुलकर सामने आयेगा.

चौकीदार ने ट्रेनिंग के लिए दिलाया था कमरा

जादोपुर रोड के रहने वाले चौकीदार ने ट्रेनिंग सेंटर व युवकों के रहने के लिए मकान किराये पर दिलाने का काम किया था. ट्रेनिंग में पुलिस को मैनेज करने के नाम पर चौकीदार प्रतिमाह संचालकों से मोटी रकम भी लेता था. अब एसपी स्वर्ण प्रभात के सामने पूरा मामला आने के बाद चौकीदार की भूमिका जांच भी शुरू हो गयी है. पुलिस गंभीरता से एक-एक कड़ी को सुलझाने में जुटी है.

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एटीएस ने पूछे ये सवाल

छापेमारी के लिए सादे लिबास में पहुंची एटीएस की टीम ने ट्रेनर समेत चार लोगों को हिरासत में लेकर उनसे बारी-बारी से पूछताछ की. उन्होंने पूछा कि कहां के रहने वाले हो? नाम क्या है? काम क्या करते हो? कंपनी कहां है? किस चीज की ट्रेनिंग लेते हो?

प्रशासन ने मंगलवार को की थी छापेमारी

बता दें कि मंगलवार की देर शाम को शहर के साधु चौक व जादोपुर रोड में चल रहे ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशासन की ओर से ताबड़तोड़ छापेमारी की गयी थी. छापेमारी के दौरान ट्रेनर समेत नौ संदिग्धों को नगर थाने में हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी. वहीं ट्रेनिंग कर रहे 36 संदिग्ध युवकों को उनके किराये के मकान में ही हिरासत में ले लिया गया था. उनके पास से दो दर्जन से अधिक मोबाइल, लैपटॉप व आयुर्वेदिक दवाएं जब्त कर जांच की गयी थी.

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