वाराणसी से औरंगाबाद सिक्सलेन का करीब 192 किमी लंबाई में निर्माण पिछले करीब 11 साल से अटका हुआ है. ऐसे में इसकी लागत करीब 1250 करोड़ रुपये बढ़ गयी है. 2011 में इस सड़क का काम शुरू होने के समय इसकी अनुमानित लागत करीब 2848 करोड़ रुपये थी, अब यह बढ़ कर करीब 4100 करोड़ रुपये हो गयी है. इस सड़क को 2024 तक पूरा होने की संभावना है. हालांकि, अभी सड़क जिस स्थिति में उससे लग नहीं रहा है कि सड़क का काम 2024 में पूरा हो जाएगा. हालांकि, निर्माण एजेंसी अपने दावे पर अड़ी है.
सूत्रों के अनुसार वाराणसी से औरंगाबाद सिक्सलेन फिलहाल जीटी रोड एनएच-2 फोरलेन है. इसका नया नामकरण एनएच-19 किया गया है. फिलहाल करीब 50 फीसदी निर्माण पूरा हो चुका है. इस सड़क के बनने से औरंगाबाद सहित रोहतास, गया जिलों को सीधा फायदा होगा. साथ ही उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी. इससे आम नागरिकों के साथ दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और मुंबई से आने वाले माल वाहक गाड़ियों की भी सुविधा होगी. इसके साथ ही, ट्रास्पोर्ट का वक्त भी काफी ज्यादा बच जाएगा. इससे ट्रास्पोर्ट कास्ट काफी कम हो जाएगा.
सूत्रों के अनुसार वाराणसी से औरंगाबाद सिक्सलेन के निर्माण में विलंब होने का मुख्य कारण जमीन अधिग्रहण की समस्या थी. अब जमीन अधिग्रहण की समस्या लगभग दूर हाे चुकी है. पहले की निर्माण एजेंसी की जगह इस परियोजना का निर्माण सोमा-आइसोलक्स कर रही है. करीब 192 किमी लंबाई में इस सड़क का करीब 135 किमी हिस्सा बिहार और 57 किमी उत्तर प्रदेश में है. इस सड़क का निर्माण पूरा होने के साथ ही पटना-गया-डोभी फोरलेन सड़क बन जाने के बाद पटना से वाराणसी जाने के लिए अलग से बेहतर मार्ग उपलब्ध हो सकेगा.
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