वारदात को अंजाम देनेवालों को सजा दिलाने के रास्ते पुलिस प्रशासन को तलाशने होंगे

केशव कुमार सिंह @ औरंगाबाद नक्सलियों ने पुलिस महकमे को खुली चुनौती देते हुए 17 जुलाई, 2013 को एमबीएल कैंप में दिनदहाड़े घुस कर छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इस नक्सली वारदात से पूरा जिला सहम उठा था. हमले के बाद तत्कालीन डीजीपी से लेकर अन्य पदाधिकारी औरंगाबाद पहुंचे थे. साथ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2017 9:15 PM

केशव कुमार सिंह @ औरंगाबाद

नक्सलियों ने पुलिस महकमे को खुली चुनौती देते हुए 17 जुलाई, 2013 को एमबीएल कैंप में दिनदहाड़े घुस कर छह लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. इस नक्सली वारदात से पूरा जिला सहम उठा था. हमले के बाद तत्कालीन डीजीपी से लेकर अन्य पदाधिकारी औरंगाबाद पहुंचे थे. साथ ही मीडिया में बयान दिया था कि इस कांड में सभी नक्सलियों को स्पीडी ट्रायल के माध्यम से सजा दिलायी जायेगी. लेकिन, जब न्यायालय में मामले की सुनवाई पूरी हुई और न्यायाधीश ने आज करीब चार वर्षों बाद सभी आरोपित नक्सलियों को रिहा कर दिया गया, तो एक बार फिर चहुंओर चर्चा का बाजार गर्म है कि आखिर क्यों नहीं इन आरोपित नक्सलियों को सजा मिल सकी.

नक्सलियों के आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अदालत में किसी भी गवाह ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिसके आधार पर नक्सलियों को सजा दी जा सके. यही नहीं, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दलजीत सिंह व वर्तमान पुलिस अधीक्षक डॉक्टर सत्यप्रकाश ने इस कांड में शामिल सभी नक्सलियों को सजा दिलाने के लिए कोर्ट में पर्याप्त पक्ष भी प्रस्तुत किये थे. इसके बावजूद गवाह देनेवाले लोग किसी नक्सली को इस घटना में शामिल होने से इनकार कर दिया. इसका परिणाम हुआ कि सभी 14 आरोपित नक्सलियों को अदालत ने रिहा कर दिया.

इधर, अदालत द्वारा 14 नक्सलियों को रिहा कर दिये जाने के बाद जिले में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. कुछ बुद्धिजीवी लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जब भी जिले में नक्सली वारदात को अंजाम दिया जाता है और पुलिस जिन लोगों को पकड़ कर जेल भेजने का काम करती है, उनके द्वारा अदालत में गवाही नहीं देने के पीछे का कारण क्या हो सकता है? नक्सलियों का भय इतना है कि चाहे पुलिसकर्मी हो या आमजन, न्यायालय में गवाही देना जरूरी नहीं समझते. यही आज भी हुआ और सभी जेल भेजे गये 14 आरोपित नक्सली अदालत से रिहा कर दिये गये. यह भी चर्चा हो रही है कि जब सभी आरोपित नक्सली दोषमुक्त हैं, तो छह लोगों को मौत के घाट उतारनेवाले कौन थे? क्या सभी आरोपित नक्सलियों को दोषमुक्त करार दिये जाने से उनका मनोबल और नहीं बढ़ेगा? क्या फिर जिले में नक्सली वारदातों में वृद्धि नहीं हो जायेगी? जब दिन के उजाले में नक्सलियों ने गोह बाजार स्थित जाजापुर में एमबीएल कंपनी परिसर में घुस कर छह लोगों को मौत के घाट उतार कर बरी हो गये. करीब 30 अत्याधुनिक हथियारों और हजारों कारतूस को दिनदहाड़े लूटते हुए कई गाड़ियों में आग तक लगा दी थी, तो रात के अंधेरे में वारदात को अंजाम देनेवाले को पुलिस कैसे सजा दिला पायेगी? इन सभी का जवाब अब पुलिस प्रशासन को ढुंढ़ना होगा, ताकि आम जन चैन की नींद ले सकें.

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