महीने में 10 दिन ही खुल पाता है बंधवा का स्वास्थ्य उपकेंद्र

एक एएनएम के भरोसे चल रही व्यवस्था देवकुंड :देवकुंड थाना क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र बंधवा का भवन निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन यहां डॉक्टर के नहीं आने से क्षेत्र के मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. अस्पताल में अक्सर ताले ही लटके रहते हैं. सरकार भले ही स्वास्थ्य के नाम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2017 9:22 AM
एक एएनएम के भरोसे चल रही व्यवस्था
देवकुंड :देवकुंड थाना क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र बंधवा का भवन निर्माण तो करा दिया गया है, लेकिन यहां डॉक्टर के नहीं आने से क्षेत्र के मरीजों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. अस्पताल में अक्सर ताले ही लटके रहते हैं. सरकार भले ही स्वास्थ्य के नाम पर लाखों-करोड़ों खर्च कर गरीबों व आम लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने की बात कर रही है.
लेकिन, स्वास्थ्य सेवाओं का हाल बदतर है. स्वास्थ्य उपकेंद्र पर महीने के 20 दिन ताला लटका रहता है. कभी-कभी पल्स पोलियो के अवसर पर या किसी अन्य राष्ट्रीय दिवस पर कार्यालय खुलता है. ग्रामीणों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र का ताला भी कभी-कभार खुलता है, जब खुलता भी है, तो स्वास्थ्य कर्मी रजिस्टर मेनटेन कर चले जाते हैं. हालांकि, प्रभात खबर की टीम इसकी सच्चाई जानने मंगलवार को अस्पताल पहुंची, तो केंद्र खुला था और पदस्थापित एएनएम कमला देवी कुछ लोगों का इलाज कर रही थी, लेकिन उन्होंने भी महीने में केंद्र 10 दिन खुलने की ही बात कही.
यहां पर न कोई डॉक्टर रहते हैं और न ही नर्स रहती हैं. अगर यहां इलाज होने लगे, तो हम जैसे गरीब परिवारों को इलाज के लिए जूझना नहीं पड़ेगा. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए.
बेनु कुमारी, बंधवा, हसपुरा
इस अस्पताल की बदहाली कभी भी देखी जा सकती है. इस केंद्र का हाल बेहाल है. मैडम जी से पूछते हैं, तो कहती हैं कि हम अकेले क्या करेंगे और चिकित्सक की जरूरत है, लेकिन विभाग से भेजा जायेगा, तब न.
पार्वती देवी बंधवा, हसपुरा
का कहूं बाबू महीना में तो सात-आठ दिन अस्पतलिया खुलबे कर हईं, केहुके तबीयत खराब हो जा हईं, तो रेफरल अस्पताल ले जाये पड़ हइ. सरकार खाली भोटवा लेवे ला अस्पतलियआ बना देलई हेए.
सोना देवी बंधवा, हसपुरा
सोमवार और शनिवार को केंद्र खोलते हैं. इस दौरान अगर प्रभारी से कोई निर्देश मिल गया, तो केंद्र बंद कर चले जाते हैं. पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है. केंद्र का चापाकल कई माह से खराब पड़ा है.
कमला देवी, एएनएम, हसपुरा
उपकेंद्र में चिकित्सक को भेजना संभव ही नहीं
केंद्र बंद होने की बात पूछी गयी, तो उन्होंने कहा कि चिकित्सक की कमी तो जरूर है. जब रेफरल अस्पताल चलाने के लिए मात्र पांच एमबीबीएस डॉक्टर ही पदस्थापित है, तो हम उपकेंद्र में चिकित्सक कहां से भेजेंगे. चिकित्सक कम होने की जानकारी सिविल सर्जन, औरंगाबाद को पत्र के माध्यम से दे दी गयी है.
मीना राय, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, रेफरल अस्पताल, हसपुरा
लापरवाह हैं स्वास्थ्य विभाग के अिधकारी
इस संबंध में पंचायत के मुखिया से बात किया गया, तो उन्होंने बताया कि विभागीय लापरवाही के कारण प्रत्येक दिन तो केंद्र खुला नहीं रहता है. इसके लिए सिविल सर्जन महोदय को पत्र लिख कर ध्यान आकृष्ट कराया जायेगा. गांव में स्वास्थ्य केंद्र होने के बावजूद इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
सुरेश प्रजापत, मुखिया, डिंडिर पंचायत

Next Article

Exit mobile version