” दो करोड़ खर्च के बाद भी शाम होते ही अंधेरे में डूब जाती हैं सड़कें
गड़बड़झाला. वर्ष 2015 में शहर में लगायी गयी थीं 700 स्ट्रीट लाइटें शिकायत करने के बाद भी नहीं होता है समस्या का समाधान बरसात में लोगों को होती है अधिक समस्या औरंगाबाद सदर : सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपयोगी व शहर को जगमग करने के लिए लगायी गयी स्ट्रीट लाइटें इन दिनों खराब पड़ी हैं. […]
गड़बड़झाला. वर्ष 2015 में शहर में लगायी गयी थीं 700 स्ट्रीट लाइटें
शिकायत करने के बाद भी नहीं होता है समस्या का समाधान
बरसात में लोगों को होती है अधिक समस्या
औरंगाबाद सदर : सुरक्षा के दृष्टिकोण से उपयोगी व शहर को जगमग करने के लिए लगायी गयी स्ट्रीट लाइटें इन दिनों खराब पड़ी हैं. नगर पर्षद द्वारा शहर को अंधकार से मुक्त करने के लिए साल 2015 में करोड़ों की लागत से सप्लायरों द्वारा स्ट्रीट लाइटें लगवायी गयी थीं. स्थानीय लोगों की मानें, तो अधिकतर स्ट्रीट लाइटें लगने के कुछ दिन बाद ही खराब हो गयीं. इसके बाद नगर पर्षद द्वारा स्ट्रीट लाइटों का न कभी सर्वे कराया गया और न ही इसके वस्तुस्थिति की पड़ताल की गयी. विभाग सप्लायरों के चिकनी-चुपड़ी बातों में फंस कर रह गया. नतीजतन, शहर आज पूरी तरह अंधेरे में डूबा है. आज शहर की सड़कों पर लगीं 700 में से करीब 630 से अधिक स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं.
इससे स्थानीय लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के अनुसार, की ओर से शहर में सप्लायर अक्षय ऊर्जा शॉप व संतोष लाइट औरंगाबाद द्वारा स्ट्रीट लाइटों का लगवाने का काम किया गया था. इन्हें ही चार सालों तक इन सभी लाइटों को मरम्मत कराने की जिम्मेदारी थी. लेकिन, एक बार भी इन लाइटाें का मरम्मत नहीं किया गया है. वहीं, इन स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत नप की ओर से इनका 10 प्रतिशत राशि रोक कर रखा गया है.
‘चहेते को मिला था टेंडर’ : इस बारे में आरटीआइ कार्यकर्ता त्रिपुरारी पांडेय ने कहा कि शहर के सौंदर्यीकरण पर खर्च किये गये करोड़ों रुपयों की नगर पर्षद में बंदरबांट हुई है. आरटीआइ से स्ट्रीट लाइटों के संबंध में सूचना मांगी गयी थी. लेकिन, विभाग यह सूचना उपलब्ध कराने में आनाकानी कर रहा था. उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल पता चलाकि नप द्वारा करीब दो करोड़ रुपये की लागत से शहर में स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी थीं. स्ट्रीट लाइटें अपनी जगह पर खड़ी हैं.
लेकिन, उसके बल्ब खराब हो गये हैं. इससे पूरा शहर शाम होते ही अंधेरा में डूब जाता है. स्ट्रीट लाइट के लगने के बाद मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया गया. जानकारी के अनुसार, पूर्व मुख्य पार्षद ने अपने चहेते को स्ट्रीट लाइट लगाने का टेंडर दे दिया, जिसका नतीजा यह है कि आज शहर अंधेरे में डूबा रहता है.
क्या कहते हैं मुख्य पार्षद
शहर के सौंदर्यीकरण के लिए नगर पर्षद तत्पर है. हर छोटी-बड़ी चीज को ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है. स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने के लिए सप्लायरों को नोटिस भेजा गया है और उन्हें हिदायत भी दी गयी है कि शहर के सभी स्ट्रीट लाइटों का मेंटेनेंस वर्क ठीक रखें. नगर पर्षद द्वारा लाइटों को ठीक कराया जा रहा है. जल्द ही सारे स्ट्रीट लाइटें जलना शुरू हो जायेंगी और शहर अंधेरे से मुक्त होगा.
उदय कुमार गुप्ता, मुख्य पार्षद, नगर पर्षद
संबंधित कंपनी को कई बार भेजा गया है नोटिस
इस समस्या के बारे में निर्माण कंपनी कोे स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत के लिए समय-समय पर नोटिस दिया गया है. शहर में जहां से शिकायत मिलती है. उसे तुरंत ठीक कराने का हर संभव प्रयास किया जाता है. नगर पर्षद का हर समय सही प्रयास रहता है कि आमलोगों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो.
शोभा सिंह, उपमुख्य पार्षद, नगर पर्षद
रात होने से पहले घरों में कैद हो जाते हैं शहरवासी
स्ट्रीट लाइटें नहीं जलने के कारण शहर के बाजार व सड़कें अंधेरा होते ही सुनसान हो जाती है. वहीं, बारिश के कारण जगह-जगह बाजार में पानी भरा है और सड़कें टूटी हुई हैं. इससे रात में यात्रियों व लोगों के पांव कभी गड्ढे में जाते हैं, तो कभी पानी में. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, शहर में 2015 में दो करोड़ रुपये स्ट्रीट लाइटों पर खर्च किये गये थे.
शहर में सप्लायर अक्षय ऊर्जा शॉप व संतोष लाइट औरंगाबाद द्वारा 700 स्ट्रीट लाइटें लगायी गयी थीं. इसके अलावे शहर के स्लम एरिया में 300 सोलर लाइटें लगायी गयी थीं. वर्तमान में स्ट्रीट लाइट की स्थिति यह है कि 700 में ठीक से 630 से भी अधिक स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं. वहीं स्लम एरिया में लगीं सोलर लाइटों की स्थिति यह है कि अधिकांश जगहों से बैटरी चोरी हो गयी है. इसका संज्ञान लेने वाला कोई नहीं है.