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जेलों में कैदियों की बढ़ती भीड़ का मसला संसद में उठाया

औरंगाबाद कार्यालय : देश में जेलों की संख्या, उनके नाम और उन जेलों में बंद कैदियों की क्षमता पर औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने मंगलवार को सदन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सवाल पूछा. सांसद ने अपने प्रश्नों में कहा कि क्या इन जेलों में कैदियों की संख्या दो सौ प्रतिशत से अधिक है. […]

औरंगाबाद कार्यालय : देश में जेलों की संख्या, उनके नाम और उन जेलों में बंद कैदियों की क्षमता पर औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने मंगलवार को सदन में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सवाल पूछा. सांसद ने अपने प्रश्नों में कहा कि क्या इन जेलों में कैदियों की संख्या दो सौ प्रतिशत से अधिक है.
कैदियों को कम करने के लिए सरकार की कोई तत्काल योजना है. कारागारों के आधुनिकीकरण के लिए राज्यों को दी जानेवाली राशि रोक दी गयी है, क्या निकट भविष्य में इस कार्य के लिए निधि आवंटित करने के लिए सरकार की कोई योजना है? सांसद के सवाल के जवाब में गृहमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार देश के 1401 जेलों में से 149 जेलों में 31 दिसंबर 2015 की स्थिति के अनुसार भीड़-भाड़ की दर दो सौ प्रतिशत से अधिक है.
मॉडल जेल मैनुअल 2016 में सोने वाले बैरकों में प्रति कैदी के रहने की न्यूनतम जगह सामान्य तौर पर जमीनी क्षेत्र का 3.71 वर्गमीटर तथा सेलों के जमीनी क्षेत्रों का 8.92 वर्गमीटर का सुझाव दिया गया है. भीड़-भाड़ के मुद्दे से निपटने के लिए विभिन्न उपायों को शामिल करते हुए परामर्श पत्र गृह मंत्रालय के वेबसाइट पर उपलब्ध है.
हार्ड स्किल्स के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र की हो स्थापना : औरंगाबाद व गया जिले के प्रत्येक पंचायत, प्रखंड विशेषकर वामपंथी उग्रवादी से प्रभावित इलाकों में कौशल विकास एवं प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना और जिला मुख्यालय में हार्ड स्किल्स के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण केंद्र व प्लेसमेंट सेंटर की स्थापना की मांग सांसद सुशील कुमार सिंह ने सदन में उठायी है.
सांसद ने कहा कि कौशल विकास के अंतर्गत एक एकीकृत योजना होना चाहिए, जिससे व्यक्तिगत अन्वेशकों व अन्य लोगों के लिए सरकार द्वारा नवोन्मेष के लिए तकनीकी व आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए सिंगल विंडो की व्यवस्था की जाये.

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