समेकित कृषि प्रणाली से होगा किसानों का विकास : निदेशक

खेती के साथ-साथ पशुपालन का भी सुझाव औरंगाबाद कार्यालय : समेकित कृषि प्रणाली से ही किसानों का विकास संभव है. एक तरह की खेती पर आश्रित रहने का समय अब समाप्त हो गया. किसानों को एक साथ कई तरह का खेती करना होगा. उक्त बातें कृषि प्रौद्योगिक अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाॅ अंजनी कुमार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2017 10:17 AM
खेती के साथ-साथ पशुपालन का भी सुझाव
औरंगाबाद कार्यालय : समेकित कृषि प्रणाली से ही किसानों का विकास संभव है. एक तरह की खेती पर आश्रित रहने का समय अब समाप्त हो गया. किसानों को एक साथ कई तरह का खेती करना होगा. उक्त बातें कृषि प्रौद्योगिक अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाॅ अंजनी कुमार सिंह ने कहीं.
उन्होंने कहा कि किसानों को खेती के साथ-साथ पशुपालन करना जरूरी है. इससे उनकी आय बढ़ेगी. वे मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र सिरीस में आयोजित वैज्ञानिक सलाहकार समिति की नौंवी बैठक को संबोधित कर रहे थे. बैठक की अध्यक्षता बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के प्रसार शिक्षा निदेशक डाॅ आरके सोहाने ने किया. बैठक में जिला के किसानों की खेती से जुड़े समस्याओं पर चर्चा की गयी और अनुसंधान के पश्चात् समाधान ढूंढ़ने हेतु विचार-विमर्श किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्र समन्वयक डॉ नित्यानंद नें बैठक में उपस्थित सारे आगनतुकों का परिचय कराते हुए स्वागत किया और् पिछले वर्ष की बैठक में दिये गये निर्देश के अनुपालन हेतु उठाये गये कदमों की विस्तृत चर्चा की.
वैज्ञानिक सलाहकार समिति ने गत वर्ष की बैठक में लिये गये निर्णयों की समीक्षा की इसके बाद आगामी वर्ष की कार्य योजना की रूपरेखा तैयार की गयी. निदेशक प्रसार शिक्षा ने पशुपालन व मत्स्य पालन से जुड़ी तकनीकी समस्याओं के समाधान हेतु आसपास के कृषि विज्ञान केंद्रों से वैज्ञानिकों को बुला कर प्रशिक्षण आयोजित करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र पर कुशल युवा कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी है.
किसान इसमें अपना आवेदन दे सकते हैं. उपस्थिति प्रगतिशील किसानों नें अपनी विभिन्न समस्याओं को अध्यक्ष के समक्ष रखा, जिसे अगले वर्ष की कार्य योजना में शामिल किया गया. वैज्ञानिकों ने अगले वर्ष की कार्य योजना प्रस्तुत किया. रामलखन सिंह ने कृषकों को लाभकारी मूल्य दिये जाने व मशरूम उत्पादक किसानों नें उत्पादन के प्रशिक्षण की व्यवस्था की मांग की.

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