तब्बसुम के हौसले को ”भाई” का सहारा
औरंगाबाद कार्यालय : एक तरफ ओलंपिक कास्य पदक विजेता हरियाणा की बेटी साक्षी मल्लिक पर देश में पैसे की बरसात हुई. सभी ने उसके हौसले की कद्र की,तो दूसरे तरफ कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है,जो अर्थाभाव के कारण अपनी प्रतिभा को दम तोड़ते हुए देख रहे है. छोटे शहरों में अक्सर प्रतिभाएं दम तोड़ती नजर […]
औरंगाबाद कार्यालय : एक तरफ ओलंपिक कास्य पदक विजेता हरियाणा की बेटी साक्षी मल्लिक पर देश में पैसे की बरसात हुई. सभी ने उसके हौसले की कद्र की,तो दूसरे तरफ कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है,जो अर्थाभाव के कारण अपनी प्रतिभा को दम तोड़ते हुए देख रहे है. छोटे शहरों में अक्सर प्रतिभाएं दम तोड़ती नजर आती है. औरंगाबाद जिले की ही बेबी तब्बसुम नामक बेटी को उस समय अपनी प्रतिभा की उड़ान का मौका मिला, जब भाई बनकर डीएम कंवल तनुज ने 10 हजार रुपये की मदद की.
मदद पाते ही तब्बसुम के चेहरे से निराशा के बादल छंट गये और वह अचानक चहक उठी. हुआ यह कि जिले की एकमात्र पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी बेबी तब्बसुम का चयन दक्षिण कोरिया में होने वाले पारा बैडमिंटन चैंपियनशिप के ट्रायल के लिए हुआ है. वैसे औरंगाबाद के ही शिक्षक व राष्ट्रीय खिलाड़ी संतोष कुमार का भी चयन किया गया है, लेकिन तब्बसुम आर्थिक रूप से कमजोर है. उसके घरवालों के पास इतने पैसे नहीं है कि उसे किसी बड़े जगह पर और किसी बड़े आयोजन के लिए भेजा जा सके.
ऐसे में अपनी प्रतिभा का दम टूटते देख तब्बसुम गुरुवार की दोपहर डीएम कंवल तनुज के कार्यालय पहुंची और उनसे मदद की गुहार लगायी. तब्बसुम ने कंवल तनुज को डीएम नहीं बल्कि भाई कह कर पुकार लगायी. तब्बसुम ने कहा कि वह जम्होर थाना क्षेत्र के हुसैनगंज गांव निवासी शमीम अख्तर की बेटी है और बचपन से ही दिव्यांग है. खेल के क्षेत्र में बैडमिंटन को चुनी और 2013 से कैरियर की शुरुआत की. समय-समय पर अपने गुरु संतोष कुमार से खेल के गुर सीखने लगी. परिवार के बंदिशों के बावजूद वह खेलती रही.फरिदाबाद ,हैदराबाद, अजमेर शरीफ सहित कई जगहों पर आयोजित राष्ट्रीय टूर्नामेंट में शामिल हुई. दक्षिण कोरिया के लिए 18 से 20 सितंबर तक ट्रायल होने वाला है. तब्बसुम की बातें सुनकर डीएम भावुक हो गये. लगभग छह घंटे के बाद डीएम उससे मिलने साई मंदिर पहुंचे और फिर शनि मंदिर में पूजा अर्चना के बाद तब्बसुम को 10 हजार रुपये की मदद की.