उस समय पुलिस ने यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि आपकी बेटी कहीं गयी होगी, लौट जायेगी. रविवार की सुबह युवती का भाई अपनी बहन को खोजते हुए रघुनाथपुर आहर के पास पहुंचा, तो उसे बदबू का एहसास हुआ. नजदीक जाकर देखा, तो उसकी बहन का शव पड़ा हुआ था. इसकी सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में ग्रामीण जुट गये. आक्रोशित लोगों का कहना था कि यदि पुलिस लापता युवती को खोजने में तत्परता दिखाती, तो उसकी जान बच सकती थी.
आशंका जतायी जा रही है कि दौड़ का अभ्यास करने के दौरान पहले से घात लगाये अपराधियों ने उसका अपहरण कर लिया और फिर उसके साथ दुष्कर्म करने के बाद तेजाब से जला कर मार डाला. इसके बाद शव को पानी में फेंक दिया.
पानी में घंटों रहने के कारण शव फूला हुआ था और शरीर के कई भाग पर जलने का निशान था. शव देखते ही आक्रोशित लोग सड़क जाम कर पुलिस प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करने लगे. लोग पुलिस पर लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे थे.
सड़क जाम की सूचना पाकर हसपुरा के थानाध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा, दाउदनगर के डीएसपी संजय कुमार सिन्हा, दाउदनगर के एसडीएम अनीश अख्तर, अरवल के डीएसपी शैलेंद्र कुमार, शहरतेलपा के थानाध्यक्ष अनिल कुमार, करपी बीडीओ अखिलेश्वर कुमार समेत अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों का दल घटनास्थल पर पहुंचा और मामले की तहकीकात की.
सहेलियों के बयान से संदेह गहराया
बताया जा रहा है कि युवती तीन सहेलियों के साथ प्रतिदिन दौड़ने के लिए एक-दूसरे से मोबाइल पर संपर्क कर घर से निकलती थी. एक सहेली के मुताबिक, शनिवार की सुबह उसने 3:45 बजे युवती के मोबाइल पर फोन किया, तो उसके भाई ने फोन रिसीव कर कहा कि वह तीन बजे ही दौड़ने चली गयी है, लेकिन युवती वहां नहीं पहुंची थी. ये बातें सभी के जेहन में नाच रही थीं कि जब युवती प्रतिदिन एक-दूसरे से संपर्क कर निकलती थी, तो शनिवार को बिना संपर्क के घर से किसके साथ निकली?