औरंगाबाद. डीएसपी का मुंह बड़ा है लेकिन वहां जाने की जरूरत नहीं है. पहले जो दिये हैं, उसी में हो जायेगा. लेकिन, रीडर और मुंशी मुंह बइले है. ये बातें कथित तौर पर औरंगाबाद के एक पुलिस पदाधिकारी ने नगर थाना कांड संख्या 8/13 के मामले में फोन पर कांड के संबंधित व्यक्ति से बात करने के दौरान कहीं हैं.
दरअसल इस बातचीत का एक ऑडियो जिले में बड़ी तेजी से वायरल हुआ है. बताया जा रहा है कि रिश्वत मांगनेवाले पुलिस अधिकारी कभी नगर थाने में पदस्थापित थे और इस मामले में अनुसंधानकर्ता की भूमिका भी निभा चुके हैं. यह मामला एक जमीन से संबंधित बताया जा रहा है.
मृत व्यक्ति ने आकर जमीन की कर दी रजिस्ट्री : आरोप है कि उक्त जमीन के विक्रेता सूरजदेव राम तथा राजकुमार राम ने पांच वर्ष पूर्व ही मृत हो चुके नागेश्वर राम की जगह ब्रह्मदेव राम को नागेश्वर राम बताते हुए जमीन की रजिस्ट्री करा गांधीनगर मुहल्ले के अिनल श्रीवास्तव के नाम से करा दी.
रजिस्ट्री के बाद जब खरीदार द्वारा खरीदी गयी जमीन की घेराबंदी करने पहुंचे, तो सूरजदेव राम, जिसने जमीन का पैसा लिया था, उसने यह कह कर घेराबंदी करने पर रोक लगा दी कि उसके पिता नागेश्वर राम की मौत 2007 में हो गयी थी, इसलिए इस जमीन पर घेराबंदी नहीं हो सकती. क्रेता अनिल द्वारा इस मामले में आठ जनवरी 2013 को प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
एसपी डॉक्टर सत्य प्रकाश ने कहा कि एसडीपीओ को जांच की िजम्मेदारी दी गयी है. वायरल ऑडियो की आवाज पुलिसवाले की प्रमाणित होने पर कार्रवाई की जायेगी.