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न साफ-सफाई, न ट्रैफिक दुरुस्त बदहाल स्थिति में धर्मशाला चौक
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है धर्मशाला चौक लोरीक चौक, फारम एरिया व सिन्हा कॉलेज मोड़ भी दयनीय औरंगाबाद सदर : स्वच्छता, शहरी व्यवस्था, पब्लिक मैनेजमेंट, सिक्यूरिटी, सामाजिक एकता, प्रशासन, परिवहन व यातायात की व्यवस्था ये सभी एक सुंदर व स्मार्ट शहर के पैमाने में शामिल होते हैं. लेकिन, दुख की बात यह है कि […]
आध्यात्मिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण है धर्मशाला चौक
लोरीक चौक, फारम एरिया व सिन्हा कॉलेज मोड़ भी दयनीय
औरंगाबाद सदर : स्वच्छता, शहरी व्यवस्था, पब्लिक मैनेजमेंट, सिक्यूरिटी, सामाजिक एकता, प्रशासन, परिवहन व यातायात की व्यवस्था ये सभी एक सुंदर व स्मार्ट शहर के पैमाने में शामिल होते हैं. लेकिन, दुख की बात यह है कि औरंगाबाद शहर में यह सभी फेल हैं. हालांकि धीरे धीरे इन चीजों पर काम तो हो रहा है, पर इस विकास के ग्राफ में कुछ महत्वपूर्ण जगहों को शामिल नहीं किया जा रहा, जो शहर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. शहर सिर्फ रमेश चौक, ओवर ब्रिज या जसोईया से नहीं जाना जाता, बल्कि शहर की पहचान में धर्मशाला चौक, लोरीक चौक, फारम एरिया व सिन्हा कॉलेज मोड़ भी शामिल हैं. इनमें सबसे ज्यादा कोई महत्वपूर्ण शहर का दूसरा स्थान है तो वह धर्मशाला चौक है. रमेश चौक के बाद शहर का दूसरा महत्वपूर्ण स्थल इसे कहा जाता है. धर्मशाला चौक शहर का मुख्य अंग है.
इससे एक लिंक रोड भी निकला है, जो सीधे ओवरब्रिज बाइपास से जाकर मिलता है. धर्मशाला चौक शहर के बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, तो आध्यात्मिक दृष्टिकोण से यह धार्मिक स्थलों का एक केंद्र भी बन गया है, लेकिन इस चौक के विकास पर न तो शहर के स्वयंसेवी संगठन ही आगे आ रहे हैं और न ही जिला प्रशासन की नजरें ही इनायत हो रहीं. नतीजा यह है कि हर ओर बदइंतजामी दिखती है और कुव्यवस्था से यह चौक कराहते रहता है.
रमेश चौक की तरह हो जीर्णोद्धार : 40 वर्षीय राजू चौधरी महुआ शहीद के निवासी हैं. कहते है कि धर्मशाला चौक हाल के वर्षों में बहुत बदला है. शहर के रमेश चौक की तरह यह भी महत्वपूर्ण हैं. शहर के पांच प्रमुख मंदिर सिद्धि विनायक गणपति मानस मंदिर, संकट मोचन मानस मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर व हनुमान मंदिर इसी चौक पर अवस्थित हैं.
श्रद्धालुओं का हर रोज तांता लगा रहता है, लेकिन चौक की व्यवस्था से श्रद्धालुओं को बड़ी परेशानी होती है. गाड़ियों से आने वाले श्रद्धालुओं को पार्किंग की दिक्कत होती है. वहीं सड़क पर वर्षों से खड़ा जर्जर पोल व ट्रांसफाॅर्मर खतरा उत्पन्न करते रहते हैं. इसके अलावा चौक पर न तो सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था है और न ही शेड की. इस चौक का भी रमेश चौक की तरह जीर्णोद्धार होना चाहिए.
तीन मीटर की सड़क हो गयी सवा नौ मीटर की, पर समस्या जस की तस
70 वर्षीय कमलेश प्रसाद कहते है कि धर्मशाला चौक की सड़क पहले सवा तीन मीटर चौड़ी थी और इससे बाइपास जानेवाले लिंक रोड शाहपुर मुहल्ला की सड़क पूर्व से ही जुड़ी हुई थी, लेकिन इन 50 वर्षों में आज तक धर्मशाला चौक के हालात नहीं सुधरे.आज सड़क सवा नौ मीटर चौड़ी हो गयी, पर चौक के पास दो जर्जर ट्रांसफाॅर्मर जस के तस खड़े हैं.
दुर्गापूजा की नवमी के दिन इस ट्रांसफाॅर्मर में अचानक आग लग गयी थी. भगवान का शुक्र था कि लोग इससे हताहत नहीं हुए. पहले से अधिक चौक का अतिक्रमण हुआ है और फुटपाथियों के कारण जाम की समस्या भी उत्पन्न हुई है. इस कुव्यवस्था को वर्षों से लोग झेलते आ रहे है.
चौक को घेरे बैठे हैं ठेले, खोमचे व फुटपाथी दुकानदार
धर्मशाला चौक पर फुटपाथी और ठेले खोमचे वाले बैठे हुए है. यातायात की सबसे बड़ी परेशानी अतिक्रमण के कारण ही होती है. इनकी वजह से चौक पर गंदगी भी पसरी रहती है.
व्यवस्था में खलल उत्पन्न करने वालों में ऑटो भी शामिल हैं. जाम की समस्या उत्पन्न करने में ये भी पीछे नहीं. वहीं लिंक रोड के दोनों ओर अतिक्रमण दिखता है. मंदिर के आसपास फुटपाथी और ठेले-खोमचे वालों द्वारा फैलायी जा रही गंदगी ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
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