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देश के इतिहास से छेड़छाड़ सही नहीं, पर फिल्म के नाम पर जाति-धर्म की राजनीति भी ठीक नहीं

हॉट टॉपिक : दीपिका पादुकोण की नयी फिल्म पद्मावती को लेकर औरंगाबाद के लोगों ने रखी राय वास्तविक रूप में रखें कहानी मनोरंजन परोसने के लिए किसी भी फिल्मकार को यह अधिकार नहीं है कि किसी जाति या धर्म के लोगों को ठेस पहुंचाएं. अभिव्यक्ति की आजादी बहुत जरूरी है, पर इस बात का भी […]

हॉट टॉपिक : दीपिका पादुकोण की नयी फिल्म पद्मावती को लेकर औरंगाबाद के लोगों ने रखी राय

वास्तविक रूप में रखें कहानी
मनोरंजन परोसने के लिए किसी भी फिल्मकार को यह अधिकार नहीं है कि किसी जाति या धर्म के लोगों को ठेस पहुंचाएं. अभिव्यक्ति की आजादी बहुत जरूरी है, पर इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि किसी के इतिहास के साथ छेड़छाड़ न किया जाये और वास्तविक रूप में कहानी को रखा जाये. हां, अगर निर्देशक संजय लीला भंसाली यह मानते हैं कि इस फिल्म में ऐसी कोई बात नहीं है, तो सेंसर को एक बार फिर से अच्छी तरह फिल्म को देख कर इसके प्रदर्शन के लिए सोचना चाहिए.
धीरज अजनबी, रंगकर्मी सह समाजसेवी
इतिहास के साथ छेड़छाड़ न हो
कला और संस्कृति नदी के दो धार हैं, जो कभी मिलते तो नहीं पर साथ-साथ चलते हैं. उसी ढंग से मर्यादा का निवर्हन होना चाहिए. लेखक जायसी ने जौहर की घटना के 200 वर्ष बाद एक किताब लिखी थी, जिसमें रानी पद्मावती के जौहर को स्पष्ट रूप से रखा था. इसलिए इतिहास के साथ छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए. संजय लीला भंसाली ने फिल्म बाजीराव में भी गलती की और अब फिल्म पद्मावती में उन्होंने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर रखा है. यह गलत है. फिल्म पर बैन लगनी चाहिए.
रंजय अग्रहरि, रंगकर्मी सह अध्यक्ष संस्कार भारती
जाति- धर्म की मानसिकता से उबरें
फिल्म लेखक व फिल्मकार की अपनी कल्पना होती है. उसी कल्पना को वे वृत्तचित्र का रूप देते हैं. व्यावसायिक हित को देखते हुए फिल्ममेकर इतिहास के पात्रों को दर्शकों के हिसाब से पेश करते हैं. इस फिल्म को लेकर जो विवाद हो रहा है, वह यह बताता है कि अभी भी देश के दर्शक धर्म व जाति आधारित मानसिकता से नहीं उबरा है. फिल्म में अगर इंटरटेनमेंट न हो तो दर्शक एक सिरे से फिल्म को नकार देते हैं, ऐसे में दर्शकों की पसंद नापसंद को भापना भी फिल्म निर्देशक की जवाबदेही होती है.
धर्मवीर भारती, रंगकर्मी सह युवा फिल्ममेकर
इतिहास बाजारू बनाने का प्रयास
किसी को भी यह अधिकार नहीं कि वे भारतीय इतिहास के साथ खिलवाड़ करे. निर्देशक संजय लीला भंसाली ने भी ऐसा ही किया है. यह सिर्फ भारतीय इतिहास के साथ छेड़छाड़ ही नहीं है, बल्कि इतिहास को बाजारू बनाने का प्रयास भी किया गया है. मेरी यह राय है कि फिल्म पर प्रतिबंध लगे और ऐसे लोगों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो ताकि आगे कोई और भी निर्माता ऐसी फिल्मों के निर्माण की भूल ना करें.
रामानुज पांडेय, पूर्व जिला अध्यक्ष भाजपा
रानी पद्मावती स्त्रियों के लिए आदर्श
रानी पद्मावती भारतीय स्त्रियों के लिए एक आदर्श हैं. अपनी अस्मिता व लज्जा को बचाने के लिये जब रानी पद्मावती ने 16 हजार क्षत्रिय महिलाओं के साथ जौहर किया था तो मुगल शासक के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गयी थी. कथित तौर पर संजय लीला भंसाली ने अलाउद्दीन खिलजी के समक्ष रानी को नृत्य करते दिखाया है. यह भारतीय इतिहास के साथ मजाक है. ऐसे फिल्म पर प्रतिबंध लगना जरूरी है.
राजीव रंजन सिंह, अधिवक्ता

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