बाल विवाह में शामिल होने पर हो सकता है जेल

जागरूक करने के लिए चलाया जा रहा है अभियान औरंगाबाद नगर : शादी की दावत में जा रहे हैं तो आपके लिये यह खबर महत्वपूर्ण है. बिहार सरकार के दहेज व बाल विवाह रोकने के नये कानून लाने के बाद शादी में जाने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है. मसलन, कहीं आप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2017 6:27 AM

जागरूक करने के लिए चलाया जा रहा है अभियान

औरंगाबाद नगर : शादी की दावत में जा रहे हैं तो आपके लिये यह खबर महत्वपूर्ण है. बिहार सरकार के दहेज व बाल विवाह रोकने के नये कानून लाने के बाद शादी में जाने से पहले कुछ बातों का ख्याल रखना जरूरी है. मसलन, कहीं आप बाल विवाह की दावत में तो नहीं जा रहे हैं, शादी में दहेज का लेन-देन तो नहीं हुआ है. ऐसी कई बातों पर जरूर ध्यान दें वरना आप जेल की हवा भी खा सकते हैं. पंडितों को इसका खयाल रखना होगा. बाल विवाह कराने पर उन्हें भी जेल जाना पड़ सकता है.
इधर, राज्य सरकार के बाल विवाह पर लगाम लगाने की जो नीति बनायी गयी है उसका असर दिखने लगा है. अब शादी कराने वाले पुरोहित भी वर-वधू की उम्र के सत्यापन को लेकर आधार कार्ड की मांग करने लगे हैं. पुरोहित सुधाकर मिश्र कहते हैं कि सरकार के इस कार्य में सबका योगदान होना चाहिए. कम उम्र में शादी घातक है. पारिवारिक कलह में बेटियों की जिंदगी बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाता है.
बाल विवाह से बेटियां तकलीफ में : कम उम्र में विवाह न केवल बीमारियों को निमंत्रण देता है, बल्कि इससे बेटियों के जीवन पर कुप्रभाव भी पड़ रहा है. खेलने-कूदने की उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ कंधे पर आ जाने से बेटियां कराहने लगतीं हैं. कम उम्र में निर्णय लेने की क्षमता का विकास नहीं हो पाता. इससे झगड़े, मारपीट, पारिवारिक कलह और यौन उत्पीड़न आदि की समस्याएं उत्पन्न होने लगती है. बाल-विवाह के कारण कम उम्र में ही वह मां बन जाती हैं. कम उम्र में प्रसव के दौरान माता की मृत्यु की संभावना काफी बढ़ जाती है. जन्म के समय शिशु के मृत अथवा कुपोषित पैदा होने की संभावना बनी रहती है.
कौन होंगे बाल विवाह के दोषी : लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष निर्धारित की गयी है. वहीं लड़कों के शादी की उम्र 21 वर्ष निर्धारित किया गया है. यदि कोई इससे कम उम्र में शादी करता है तो वह कानून की नजर में बाल विवाह का अपराधी है. बाल विवाह के वे सारे लोग दोषी माने जाते हैं जो वैवाहिक समारोह में शामिल होते हैं. माता-पिता, अभिभावक, वैवाहिक रिश्ता तय कराने वाले अगुआ या प्रेरित करने वाले नजदीकी रिश्तेदार या फिर विवाह संपन्न कराने वाले पंडित-पुरोहित अथवा धर्मगुरु सारे बाल विवाह के दोषी माने जाते हैं. इसके अलावा अधिनियम में बैंड-बाजा, टेंट शामियाना वाले, विवाह भवन के मालिक, बाल विवाह में शामिल बाराती सभी दोषी होंगे.
बाल विवाह पाबंदी कानून में है सजा का प्रावधान : दोष सिद्ध होने पर बाल विवाह के आरोपित को दो वर्ष का कठोर (सश्रम) कारावास व एक लाख रुपये तक का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है. अधिनियम की धारा 3(1) ऐसे विवाह को शून्य घोषित करवाने की शक्ति रखता है. इस कानून के अनुपालन के लिए अपने क्षेत्र के एसडीओ, बीडीओ एवं थाना के पास शिकायत दर्ज करा सकते है. वहीं इस संबंध में किसी तरह की जानकारी के लिए अपने जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, मुखिया, सरपंच, पार्षद, महिला हेल्प लाइन, स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी केंद्र अथवा टॉल फ्री नवंबर 181 पर संपर्क के अलावा सहयोग ले सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला : पिछले 11 अक्तूबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला आने से 18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी से शारीरिक संबंध स्थापित करना बलात्कार माना जायेगा. इस फैसले से भारतीय दंड संहिता की बलात्कार संबंधी धारा 375 के अपवाद 2 को पलट दिया गया है. अब इसे दुष्कर्म माना जायेगा, जो दंडनीय है. इस जिले में बाल विवाह करने के दौरान तीन लोग 15 दिन पूर्व जेल भेजे जा चुके हैं.
क्या कहते हैं एसपी
दहेज व बाल विवाह मुक्त समाज बनाने में पुलिस को सहयोग के लिये आम लोगों को आगे आना होगा. इसके लिये सामाजिक स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. स्कूल कॉलेजों में कार्यशाला का आयोजन कर छात्रों को इस कुप्रथा को रोकने के लिये प्रेरित करना होगा. कहीं बाल विवाह हो रहा है तो इसकी सूचना संबंधित थाना को दें पुलिस तुरंत कार्रवाई करेगी. सभी थानाध्यक्षों सहित पुलिस अधिकारियों को दहेज व बाल विवाह उन्मूलन से जुड़े कानून का सख्ती से अनुपालन का निर्देश दिया गया है. इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं की जायेगी.
डॉ सत्य प्रकाश, एसपी,औरंगाबाद

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