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मजदूरी नहीं मिलने से पेट भरने पर आयी आफत, पलायन को विवश हो रहे मजदूर
एक करोड़ रुपये का भुगतान है लंबित दाउदनगर में 10 हजार 160 जॉब कार्डधारी मजदूर हैं एक्टिव दाउदनगर : मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा के तहत काम की व्यवस्था की गयी थी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को उनके गांव में ही काम मिल सके. इससे वह अपने और अपने परिवार […]
एक करोड़ रुपये का भुगतान है लंबित
दाउदनगर में 10 हजार 160 जॉब कार्डधारी मजदूर हैं एक्टिव
दाउदनगर : मजदूरों का पलायन रोकने के लिए सरकार द्वारा मनरेगा के तहत काम की व्यवस्था की गयी थी, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के मजदूरों को उनके गांव में ही काम मिल सके. इससे वह अपने और अपने परिवार का जीवकोपार्जन कर सकें और अपने गांव में गुणवत्तापूर्ण विकास कार्य कार्यान्वित कराने में भूमिका निभा सकें.
लेकिन, कई महीनों से इस पर भी असर पड़ता दिख रहा है. मजदूरी मिलने के अभाव में मनरेगा से जुड़े मजदूर या तो कोई दूसरा कार्य करने को मजबूर हैं या फिर काम की तलाश में पलायन करने को मजबूर हैं .
अगस्त से नहीं मिली मजदूरी : मनरेगा के तहत मजदूरों का भुगतान पिछले चार महीनों से पूरी तरह बंद है.मजदूरी मद में अगस्त महीना से पहले तक ही भुगतान हुआ है. वर्तमान में करीब 30 से 40 लाख रुपया इस प्रखंड में मजदूरों का मजदूरी बकाया है.
सात निश्चय के तहत खोज रहे हैं काम : जब काम ही नहीं मिलेगा तो स्वाभाविक है कि मजदूर दूसरा काम करेंगे. कुछ मजदूर तो मजदूर सात निश्चय के तहत चल रहे कार्यों में काम की तलाश कर रहे हैं, तो कुछ अन्य काम. लेकिन, मजदूरों को काम मिलने में परेशानी हो रही है और वह मजदूरी करने के लिए क्षेत्र से पलायन करने को मजबूर हैं.
जॉब कार्ड धारी मजदूर बनारसी साव, हरिमोहन साव, गोविंद साव, रामाधार पासवान, अर्जुन पासवान, राम दिनेश सिंह, शिव दयाल सिंह, सौदाग यादव आदि का कहना है कि काम के अभाव में ही बाहर जाना पड़ता है. यदि गांव व प्रखंड में ही साल भर काम मिलते रहे तो वे लोग बाहर क्यों जायेंगे. मनरेगा के तहत पूरे साल भर काम भी नहीं मिलता है.
दौड़ते रहते हैं मजदूर : करमा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जिन मजदूरों का मजदूरी बकाया है, वे कभी मुखिया के पास पहुंचते हैं तो कभी मनरेगा कार्यालय पहुंचते हैं. पैसा नहीं आने के कारण उन मजदूरों का भुगतान लंबित पड़ा हुआ है, जिससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है. मनरेगा का काम भी पूरी तरह प्रभावित हो रहा है.
प्रक्रियाधीन है इंदिरा आवास की मजदूरी : प्रखंड मनरेगा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार इंदिरा आवास लाभार्थियों के पंचानवे दिन की मजदूरी के आवंटन का डिमांड किया गया है जो प्रक्रियाधीन है. पंचानवे दिन की इंदिरा आवास में मनरेगा के तहत मजदूरी दिये जाने का प्रावधान है. विभागीय स्तर पर प्रक्रिया इसलिए पूरी कर ली जा रही है कि जैसे ही आवंटन हो वैसे ही इंदिरा आवास लाभार्थियों के खाते में मजदूरी का पैसा भेजा जा सके.
सामग्री का भी नहीं आया पैसा
करीब आठ महीने से मनरेगा के तहत सामग्री का भी पैसा नहीं आया है, जिसके कारण पंचायतों में काम भी प्रभावित है. मनरेगा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार तुला राशि का 60 प्रतिशत मजदूरी मद पर एवं 40 प्रतिशत सामग्री मद पर खर्च किये जाने का प्रावधान है. वित्तीय वर्ष 2016- 17 का ही करीब 40 लाख रुपया सामग्री का भी बकाया है.
वर्ष 2017 -18 में 25 से 30 लाख रुपये का काम पंचायतों में हो चुका है. हालांकि, व्यावहारिक तौर पर काम इससे भी ज्यादा राशि का हुआ है,लेकिन नियमानुसार उसकी एंट्री नहीं हो पाई है. इस प्रकार यदि देखा जाये तो आवंटन के अभाव में वर्तमान में करीब एक करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान लंबित पड़ा हुआ है. वर्तमान समय में कच्ची सड़क निर्माण जैसे कच्चा कार्य कराया जा सकता था, वह भी आवंटन के अभाव में ठप पड़ा हुआ है.
क्या है व्यवस्था
मिली जानकारी के अनुसार, मनरेगा के तहत निबंधित जॉब कार्डधारियों को वर्ष में 100 दिन काम देना अनिवार्य है. ये मजदूर अपने गांव में या पंचायत में मनरेगा के तहत चल रही विकास योजनाओं में मजदूरी करते हैं और मजदूरी के रूप में 177 रुपये प्रति मजदूर की दर से सरकार द्वारा उनके खाते में भेजे जाने की व्यवस्था है.
दाउदनगर प्रखंड में मनरेगा के तहत 32 हजार 449 निबंधित जॉब कार्डधारियों में से 10 हजार 160 एक्टिव जॉब कार्डधारी हैं, जिसमें से महज तीन से चार हजार जॉब कार्डधारियों को ही काम मिलता रहा है और मजदूरी के बदले मजदूरी का पैसा उनके बैंक खाते में जाता है. 8757 जॉब कार्डधारियों का आधार से लिंकेड हो चुका है.
धीरे-धीरे जा रहा पैसा
मनरेगा के तहत आवंटन अभी नहीं आ रहा है. मजदूरी का पैसा जॉब कार्डधारियों के बैंक खाते में राज्यस्तर से भेजा जाता है. धीरे-धीरे उनके खाते में पैसा भेजा जा रहा है. आवंटन के अभाव में मनरेगा के तहत काम भी प्रभावित हो रहा है.
शैलेंद्र कुमार सिंह, पीओ, मनरेगा दाउदनगर
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