दूर क्या जाना, नववर्ष में करें औरंगाबाद के दर्शनीय स्थलों की सैर

औरंगाबाद सदर : नये साल की छुट्टियां शुरू होने वाली है .कई घरों में छुट्टियों का मजा लेने के लिए घूमने जाने का प्लान भी बन चुका होगा. वैसे भी सभी के लिए दिल्ली मुंबई जाना संभव तो नहीं, लेकिन अपने आसपास भी कई दर्शनीय व रमणीय पर्यटन स्थल है, जिनका अपना ऐतिहासिक व पौराणिक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2017 6:02 AM

औरंगाबाद सदर : नये साल की छुट्टियां शुरू होने वाली है .कई घरों में छुट्टियों का मजा लेने के लिए घूमने जाने का प्लान भी बन चुका होगा. वैसे भी सभी के लिए दिल्ली मुंबई जाना संभव तो नहीं, लेकिन अपने आसपास भी कई दर्शनीय व रमणीय पर्यटन स्थल है, जिनका अपना ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व रहा है. वहां पिकनिक मना कर अपने परिवार के साथ मस्ती कर सकते हैं. औरंगाबाद शहर के आसपास मंदिर, दरगाह, पहाड़, तलाब ,जंगल ,नदी ,मैदान और भी कई प्राकृतिक चीजें देखने लायक हैं.

औरंगाबाद शहर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान भास्कर की नगरी देव ऐतिहासिक त्रेतायुगीन पश्चिमाभिमुख सूर्य मंदिर अपनी विशिष्ठ कलात्मक भाव्यता के साथ-साथ इतिहास के लिए विख्यात है. कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण देव शिल्पी भगवान विश्वकर्मा ने किया था. देव स्थित भगवान भास्कर का विशाल मंदिर अपने अप्रतिम सौंदर्य और शिल्प के कारण सदियों से श्रद्धालुओं,पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. आधुनिक नववर्ष हो या हिंदी पंचाग के विक्रम सम्वत के अवसर पर श्रद्धालु वर्ष की शुरूआत भगवान सूर्य के मंदिर में माथा टेककर करते है.

उमगा मंदिर : पुरातत्व विभाग द्वारा घोषित पाल कालीन उमगा मंदिर न केवल औरंगाबाद के लोगो को बल्कि विभिन्न राज्यों के लोगों को भी आकर्षित करता है. औरंगाबाद शहर से मात्र 27 किलोमीटर की दूरी पर ग्रैंड ट्रंक रोड से सटे दक्षिण की ओर एक पर्वत है जहां प्राचीन काल का कला पूर्ण सूर्य मंदिर स्थित है. जिसकी ऊंचाई 7 फुट है. इस मंदिर के निकट 52 मंदिर और हैं जो पहाड़ियों पर बने हुए हैं. पिकनिक स्पॉट के रूप में इसे बहुत से लोग पसंद करते हैं. यह नव वर्ष पर आप भी पिकनिक का आनंद उठा सकते हैं.
सीता थापा : सीता थापा के बारे में कहा जाता है कि त्रेता युग में भगवान राम जब सीता के साथ गया श्राद्ध करने जा रहे थे तब रथ का पहिया जमीन में धंस गया था. तब मां सीता ने अपने हाथ से रथ के पहिया को सहारा दिया था .इसी कारण इस जगह का नाम सीता थापा पड़ा. आज भी रथ के पहिए के निशान यहां देखे देखे जाते हैं. सीता थापा के पास एक कुआं है जिसकी पानी दूध की तरह उजला है .उन से स्वतः पानी निकलता रहता है .यहां भगवान विष्णु के सभी अवतार की प्रतिमा है. साथ ही मंदिर के चारों ओर रमणीक दृश्य हैं ,तलाव हैं और पहाड़ है. यह जगह औरंगाबाद शहर से 20 किलोमीटर पर स्थित है.
झुंझुनूआ पहाड़ : पवई पहाड़ के चट्टानों से सुरीली आवाज निकलती है. पहाड़ पर कई ऐसे पत्थर हैं जिसमें दूसरे पत्थर से टक्कर मारने पर झनाकेदार आवाज निकलती है. दूर से पर्यटक पवई पहाड़ देखने आते हैं ,परंतु पुरातत्व विभाग की नजर अब तक इस पर नहीं पड़ी है. पहाड़ के शिखर पर शिवलिंग स्थापित है, जहां सावन में जल चढ़ाने को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.औरंगाबाद से इसकी दूरी मात्र 6 किलोमीटर है.यहां 1 जनवरी को पिकनिक मनाने को भीड़ जमा होती है. ये जगह औरंगाबाद वासियों के लिए सबसे पसंदीदा पिकनिक स्पॉट के रूप में जाना जाता है.
देवकुंड : औरंगाबाद जिले में देवकुंड का अपना एक महत्व है.महाकालेश्वर शिवलिंग की उपलिंग बाबा दुधेश्वरनाथ के नाम से देवकुंड प्रसिद्ध है. यहां सूर्य कुंड तालाब भी है.महान तपस्वी च्यवन ऋषि द्वारा सप्तनदियों एवं सप्तसिंधुओं के जल से समावेश कर बनाये गये सरोवर से संबंधित कई आश्चर्यजनक कहानी इतिहास के पन्नो में समाहित है. ये जगह वैसे तो औरंगाबाद से 60 किलोमीटर पर है,लेकिन देवकुंड हसपुरा से छह किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. 1 जनवरी को बाबा दुधेश्वरनाथ के दर्शन करने लोग आसपास के जिले से भी पहुंचते है और छठ के अवसर पर लोग यहां अर्घ्य भी देते है.

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