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संसाधनों का है अभाव

30 थाना क्षेत्रों को कवर करता है एससी-एसटी थाना औरंगाबाद(कोर्ट) : दो वर्ष पूर्व 27 अप्रैल को अस्तित्व में आया अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) थाना आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. नगर थाना परिसर में संचालित हो रहे इस थाना का न तो अपना हाजत है और न ही मालखाना. यहां तक […]

30 थाना क्षेत्रों को कवर करता है एससी-एसटी थाना

औरंगाबाद(कोर्ट) : दो वर्ष पूर्व 27 अप्रैल को अस्तित्व में आया अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (एससी-एसटी) थाना आज भी संसाधनों की कमी से जूझ रहा है. नगर थाना परिसर में संचालित हो रहे इस थाना का न तो अपना हाजत है और न ही मालखाना. यहां तक कि इस थाना का अपना भवन भी नहीं है. इस थाने की दयनीय अवस्था को इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस थाने में शौचालय तक नहीं है. ऐसी स्थिति में इस थाने का संचालन किस तरीके से होता है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है.

गौरतलब है कि इस थाना को खोलने का मुख्य उद्देश्य यही है कि कमजोर वर्ग के दलितों, महादलितों, अनुसूचित जाति व जनजातियों के लोगों को इज्जत के साथ न्याय मिले. उनकी शिकायतों को अहमियत से सुनी जाये और उनके मामलों का निष्पादन हो और न्याय मिले, पर जो संसाधन इस अनुसूचित जाति/जनजाति थाने में उपलब्ध कराया गया है, इससे यह उद्देश्य पूरा होता नहीं दिखता.

इस साल आठ केस हुए हैं दर्ज : इस साल अब तक इस एससी/एसटी थाने में आठ प्राथमिकी ही दर्ज करायी गयी है. यदि पिछले वर्ष की बात की जाये तो वर्ष 2013 में कुल 65 प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. इसमें से 41 मामलों में अंतिम जांच प्रतिवेदन को न्यायालय को भेज दिया गया है. वहीं 15 मामले अनुसंधान के क्रम में गलत पाये गये.

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