22.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शहर के प्राइवेट पैथोलॉजी की जांच की उठने लगी मांग

एक-दूसरे की जांच रिपोर्ट में अंतर से मरीजों में संशय अधिक फीस होने से लोग बार-बार नहीं करा पाते जांच औरंगाबाद सदर : शहर के विभिन्न स्थानों पर चल रहे प्राइवेट पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट निराली है. सरकारी सेवा से बेहतर सेवा समझकर लोग जांच के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी की शरण लेते हैं ,लेकिन यहां […]

एक-दूसरे की जांच रिपोर्ट में अंतर से मरीजों में संशय

अधिक फीस होने से लोग बार-बार नहीं करा पाते जांच
औरंगाबाद सदर : शहर के विभिन्न स्थानों पर चल रहे प्राइवेट पैथोलॉजी की जांच रिपोर्ट निराली है. सरकारी सेवा से बेहतर सेवा समझकर लोग जांच के लिए प्राइवेट पैथोलॉजी की शरण लेते हैं ,लेकिन यहां भी बात कुछ सरकारी वाली ही है. जी हां प्राइवेट पैथोलॉजी से मिल रहे जांच रिपोर्ट का वास्तविक आकलन लगाना है तो आप एक ही जांच कई पैथोलॉजी में करा कर देख सकते हैं. लोगों का कहना है कि जांच रिपोर्ट में अंतर मिलना निश्चित है. आप अपनी ही जांच रिपोर्ट देख कर चौक जाएंगे .
किसी जांच रिपोर्ट में आप स्वस्थ होंगे तो किसी रिपोर्ट में भारी अंतर. है न चौंकाने वाली बात.जांच रिपोर्ट का शुल्क इतना ज्यादा होता है कि कोई भी व्यक्ति एक पैथोलॉजी से दूसरे पैथोलॉजी में एक ही तरह के जांच के लिए दोबारा जाना नहीं चाहता. अमूमन लोग भी एक टेस्ट के लिए एक ही पैथोलॉजी का चुनाव करते हैं, बहुत ज्यादा हुआ तो चिकित्सक के बताए गए पैथोलॉजी में जाकर मरीज अपना जांच कराते हैं. ऐसे में प्राइवेट पैथोलॉजी कि ये गड़बड़ियां खुल कर सामने नहीं आती और चिकित्सक भी जांच रिपोर्ट को सही मान कर उसी पर मरीजों की दवाएं चलाते हैं .ऐसे में मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.
अवैध पैथोलॉजी की भी हो जांच :
जिस तरह से झोलाछाप चिकित्सकों की बातें गाहे-बगाहे उठते रहती हैं, उसी तरह अवैध पैथोलॉजी का भी धंधा धड़ल्ले से चल रहा है. जिस पर स्वास्थ्य विभाग गंभीर नहीं दिखता. स्वास्थ्य विभाग इस बात को स्वीकार करता है कि प्राइवेट पैथोलॉजी द्वारा की जाने वाली जांच में थोड़े बहुत अंतर हो सकते हैं. क्योंकि बहुत सारे पैथोलॉजी ऑटोमेटिक तो बहुत से पैथोलॉजी में मैनुअल जांच की व्यवस्था है. ऐसे में अंतर स्वभाविक हैं. लेकिन इसकी वास्तविकता यह है कि सर्टिफाइड लोगों द्वारा जांच नहीं किए जाने के कारण जांच में अंतर पाया जाता है. शहर में चल रहे ऐसे दर्जनों पैथोलॉजी हैं जो सर्टिफाइड नहीं है.ये क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत रजिस्टर्ड भी नहीं. जबकि एक पैथोलॉजी को चलाने के लिए एमडी पैथोलॉजी का होना आवश्यक है ,अगर यह नहीं है तो डीएमएलटी की सर्टिफिकेट टेक्नीशियन के पास होनी चाहिए. मगर यहां तो शहर में कई ऐसे पैथोलॉजी हैं जो दूसरे टेक्नीशियन की सर्टिफिकेट पर चल रहे हैं और जिनका रजिस्ट्रेशन क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत नहीं है.
गड़बड़ी की करायी जायेगी जांच : सीएस
जब औरंगाबाद सदर अस्पताल के सिविल सर्जन जनार्दन प्रसाद से बात की गयी, तो उन्होंने बताया कि क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट के तहत पैथोलॉजी का रजिस्ट्रेशन होता है.इसके आंकड़े विभाग के पास हैं. इस तरह की गड़बड़ी की जांच की जायेगी. गलत पाये जाने पर कार्रवाई की जायेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें