51 दिन तक केस दर्ज कराने के लिए दो थानों के बीच पिसता रहा गोली से घायल युवक
सीमा विवाद में बारुण व मुफस्सिल पुलिस ने नहीं की कार्रवाई अब एसपी ने दिया जांच कर कार्रवाई करने का आदेश औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद पुलिस के कारनामे फरियादियों को अचंभित करते है. एक तरफ एसपी डॉ सत्यप्रकाश पुलिसिया व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है तो दूसरे तरफ उनके ही कुछ पुलिस […]
सीमा विवाद में बारुण व मुफस्सिल पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
अब एसपी ने दिया जांच कर कार्रवाई करने का आदेश
औरंगाबाद कार्यालय : औरंगाबाद पुलिस के कारनामे फरियादियों को अचंभित करते है. एक तरफ एसपी डॉ सत्यप्रकाश पुलिसिया व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए लगातार प्रयासरत है तो दूसरे तरफ उनके ही कुछ पुलिस पदाधिकारी उनके इरादे को धुमिल करने पर लगे हुए है. ऐसे में पुलिस पर सवाल उठना लाजमी है. जब विवाद दो थाने के सीमा को लेकर हो तो आश्चर्य होना कोई बड़ी बात नहीं .15 जनवरी 2018 की देर शाम जोगिया गांव स्थित बटाने नदी में गांव के ही रंजीत कुमार नामक युवक को एक अपराधी ने उस वक्त उसे गोली मार घायल कर दिया,जब वह अपने मोबाइल दुकान के लिए पार्ट्स खरीद कर डेहरी से लौट रहा था.
घायल रंजीत का इलाज लगभग एक महीने तक ट्रामा सेंटर में चलता रहा .इस बीच घटना की प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए बारुण और मुफस्सिल थाना का चक्कर लगाता रहा. बारुण में प्राथमिकी के लिए गया तो उसे मुफस्सिल थाना क्षेत्र होने का हवाला देकर मुफस्सिल थाना भेज दिया गया और जब मुफस्सिल थाना पहुंचा तो बारुण का क्षेत्र होकर बारुण थाना भेज दिया गया. लगभग 51 दिन तक दोनों थाने का चक्कर वह और उसका परिजन काटते रहे.
गुरुवार को रंजीत एसपी डॉ सत्यप्रकाश के पास पहुंचा और दोनों थाने के पदाधिकारियों की करतूत उनके सामने रख दी. एसपी ने बताया कि इस मामले की जांच सर्किल इंस्पेक्टर को दी गयी है. जांच के बाद कार्रवाई होगी. इधर मुफस्सिल और बारुण थाना के थानाध्यक्ष ने पूछे जाने पर वही बात बतायी,जो रंजीत को बतायी .सवाल यह उठता है कि जब थानाध्यक्षों को अपनी सीमा की जानकारी नहीं है तो आखिर आम आदमी किसी घटना दुर्घटना की फरियाद किससे लगाये.