सीजन में ही सब्जियां थाली से दूर

आसमान छू रही कीमतों के कारण चाह कर भी नहीं खरीद रहे हरी सब्जीऔरंगाबाद (ग्रामीण) : गरमी के मौसम को सब्जियों का सीजन माना जाता है. इस सीजन में भी इसके भाव तेजी पर है. खुदरा मंडियों में तो इसकी कीमत और अधिक है. हाल के दिनों में बढ़ रही कीमत से लोगों को सब्जी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2013 1:44 PM

आसमान छू रही कीमतों के कारण चाह कर भी नहीं खरीद रहे हरी सब्जी
औरंगाबाद (ग्रामीण) : गरमी के मौसम को सब्जियों का सीजन माना जाता है. इस सीजन में भी इसके भाव तेजी पर है. खुदरा मंडियों में तो इसकी कीमत और अधिक है. हाल के दिनों में बढ़ रही कीमत से लोगों को सब्जी खरीदने में झिझक भी हो रही है.

ऐसा नहीं है कि शहर के सब्जी मंडियों में कीमत कम नहीं होता, लेकिन इसका असर केवल थोक मंडियों तक ही सिमट कर रह जाता है. फटकर मंडियों में कीमत उतरने-चढ़ने का कोई खास असर नहीं होता है. जबकि, थोक मंडियों से खुदरा मंडियों की दूरी ज्यादा नहीं होती.

वैसे तो अब पूरे वर्ष सब्जियों की खेती होती है, लेकिन वैशाख, जेष्ठ, आषाढ़ महीने इसके लिए उपयुक्त माने जाते हैं. शहर के बाजार में आस-पास के गांव से टमाटर, बैगन, परवल, कटहल, फूलगोभी, भिंडी आदि सब्जियां पहुंचती है. इसके साथ ही ओबरा, कुटुंबा, महराजगंज, कुंडा खखड़ा, बारुण, सिरिस, दाउदनगर आदि इलाकों में होने वाली सब्जियां औरंगाबाद शहर से लेकर अन्य प्रखंडों तक बिक्री के लिए जाती है.

कद्दू से कैसे चलेगा काम

आसमान छूती सब्जियों की कीमत में सब्जी खाना गरीब परिवारों के लिए मुश्किल है. सब्जी में एकमात्र कद्दू (लौकी) ही है, जो आठ से 10 रुपये बिक रही है, जिसे लोग चाव से खा रहे है. लेकिन, सवाल यह उठता है कि आखिर प्रतिदिन कद्दू से कैसे चलेगा काम. अन्य सब्जियों को थोड़ी-थोड़ी मात्र में खरीदन ही लोग मुनासिब समझ रहे हैं. लेकिन, इससे काम नहीं चल रहा है.

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