जिले की 34.2 प्रतिशत लड़कियां और 16.2 प्रतिशत लड़कों की हो जाती है कम उम्र में शादी
औरंगाबाद कार्यालय : कम उम्र में शादी बर्बादी ही होती है. इससे सिर्फ लड़की ही नहीं, लड़का भी पीड़ित होता है. हालांकि इस सिस्टम का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों पर ज्यादा पड़ता है, पर अंतत: इसकी कीमत दोनों चुकाते हैं. राज्य से बाल विवाह को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री ने कड़े कदम उठाये हैं […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
August 9, 2018 5:35 AM
औरंगाबाद कार्यालय : कम उम्र में शादी बर्बादी ही होती है. इससे सिर्फ लड़की ही नहीं, लड़का भी पीड़ित होता है. हालांकि इस सिस्टम का सबसे अधिक प्रभाव लड़कियों पर ज्यादा पड़ता है, पर अंतत: इसकी कीमत दोनों चुकाते हैं. राज्य से बाल विवाह को समाप्त करने के लिए मुख्यमंत्री ने कड़े कदम उठाये हैं और इसका असर भी दिख रहा है. फिर भी सरकार के साथ-साथ आम लोगों को भी इस नेक काम में भागीदार बनना होगा, तभी इस कुरीति को जड़ से खत्म किया जा सकेगा.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की द्विवार्षिक रिपोर्ट (2015-17) में कुछ तथ्य सामने आये हैं. इसके अनुसार, औरंगाबाद जिले की 34.2 प्रतिशत लड़कियों व 16.2 प्रतिशत लड़कों की शादी कम उम्र यानी 18 और 21 वर्ष से पहले हो जाती है. इससे सबसे ज्यादा ग्रसित गांव की लड़कियां है, जिनका प्रतिशत करीब 38 है. इसी तरह जिले में अंडर एज यानी 15 से 19 साल में गर्भवती होने वाली महिलाओं का प्रतिशत करीब 7.2 है. सवाल यह उठता है कि इसका जिम्मेवार कौन है? क्यों हम शादी-विवाह के मामले में फैसले जल्द ले लेते हैं और क्यों हम समाज को आइना नहीं दिखा पाते हैं? इन सब सवालों से उपर उठकर हमे सोचना होगा,तभी समृद्ध और सुसज्जित समाज की परिकल्पना को साकार करेंगे.
कम उम्र की शादी बीमारियों का घर
छोटी आयु में विवाह का मुख्य कारण अशिक्षा और गरीबी को माना जाता है. अभिभावक गरीबी के कारण अपने संतान का विवाह जल्द कर एक सामाजिक दायित्व से निवृत्त होना चाहते हैं. नासमझी और अशिक्षित के कारण उन्हें यह ज्ञान नहीं रहता कि कम उम्र में विवाह कर अपने बच्चों को एक कुएं की ओर ढकेल रहे हैं. छोटी उम्र में विवाह से लड़कियों को लड़कों की अपेक्षा अधिक हानि उठानी पड़ती है. उनके स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. फलस्वरूप अनेक भीषण बीमारियों से ग्रस्त होना आम बात है.बाल विवाह के कारण बार-बार गर्भ धारण और असमय गर्भपात का सामना करना पड़ता है. नवजात शिशु के भी आकाल मौत का शिकार होने का अंदेशा बना रहता है. कुपोषण और खून की कमी से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है. छोटी आयु में विवाह के कारण लड़की को गंभीर परिणामों का सामना करना पड़ता है. खेलने-पढ़ने के दिनों में वह घर गृहस्थी की समस्याओं से जूझने लगती है. इसके अलावा शारीरिक रूप से अपरिपक्वता के साथ-साथ शिक्षा से भी वंचित होना पड़ता है. जब तक बच्चे बालिग या समझदार न हो जाएं और अपने भले -बुरे की पहचान के योग्य न हो जाएं, तब तक विवाह किसी भी स्थिति में नहीं किया जाना चाहिए.
ग्रामीण लड़कियों की होती है अंडर एज शादी
लड़कियां कम उम्र में ही बन जाती हैं मां
लड़कियों का कराना पड़ता है गर्भपात
जागरूकता ही बचाव : कुसुम
समाजसेवा के क्षेत्र में महिलाओं के लिए काम कर रही डॉ कुसुम कुमारी बताती हैं कि दहेज और बाल विवाह हमारे समाज में कोढ़ की तरह है. हम सबों को किसी भी कीमत पर लड़कों की शादी 21 और लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में नहीं करनी चाहिए. इन कुप्रथाओं को समाप्त करने के लिए हम सबों को जागरूक होना होगा.
पड़ता है मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी : डॉ मणि
कम उम्र में गर्भवती होना युवतियों के लिए शारीरिक रूप से ही नुकसानदेह नहीं होता,बल्कि इसके बहुत से मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी होते हैं. पहचान, आत्मसम्मान, शिक्षा, कैरियर, समाजिक संबंध और गर्भपात का असर बेहद परेशानियों से भरा होता है. कम उम्र में मां और बाप बनने से किशोरों पर शिक्षा का विपरीत असर पड़ता है. उसे मजबूर होकर अपनी पढ़ाई या तो बंद करनी पड़ती है या उसमें व्यवधान पैदा हो जाता है, जिस कारण कैरियर पर असर पड़ता है. बच्चे के जन्म से पूर्व और बाद की परेशानियां लड़कियों को डिप्रेशन में डाल देती हैं. जो किशोरियां बच्चे को जन्म देने और मां बनाने के लिए भावनात्मक रूप से तैयार नहीं होती है,उन्हें असफलताओं, डिप्रेशन, चिंता और असंतोष की भावनाओं का सामना करना पड़ता है. किशोर गर्भावस्था न केवल भविष्य में आर्थिक और रोजगार संबंधी समस्याओं को जन्म देते है,बल्कि नाकारात्मक आत्मसम्मान को भी जन्म देती है. एक आंकड़े के मुताबिक 43 फीसदी किशोरियां गर्भधारण के बाद गर्भपात करा लेती हैं और उसका असर उसके शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क पर भी प्रभाव डालता है. कम उम्र में विवाह करने से अपरिपक्व महिला की शारीरिक क्षमता बढ़ती उम्र के साथ लगातार कम होती जाती है, जबकि दूसरे तरफ 28 से 30 वर्ष की उम्र में शादी करने वाली महिला 40 से 45 साल तक युवा बनी रहती है.