औरंगाबाद : पुलिस अधीक्षक डॉ सत्य प्रकाश ने दाउदनगर पुलिस इंस्पेक्टर कार्यालय में निरीक्षण करते हुए अभिलेखों की जांच की. दाउदनगर पुलिस इंस्पेक्टर सर्किल के अंतर्गत आनेवाले दाउदनगर,ओबरा, हसपुरा, देवकुंड एवं खुदवां थानों के विभिन्न अभिलेखों की जांच की तथा उनके द्वारा कांडों की समीक्षा की गयी. कांडों के निष्पादन में लापरवाही के आरोप में आठ पुलिस पदाधिकारियों का वेतन बंद भी कर दिया है.
एसपी ने बताया कि पुलिस इंस्पेक्टर कार्यालय के अभिलेखों की जांच की गयी है और अभिलेखों को अद्यतन करने का आदेश दिया गया है. वैसे आईओ, जिन्होंने बहुत दिनों से चार्जशीट नहीं दाखिल की है या केस को पेंडिंग रखा है, उन्हें चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. चोरी की घटनाओं में हुई वृद्धि को देखते हुए पुलिस गश्ती बढ़ाने एवं आवश्यक कार्रवाई करने का आदेश दाउदनगर एसडीपीओ एवं थानाध्यक्ष को दिया गया है. पदाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि अपराध नियंत्रण के लिए सभी आवश्यक उपाय करें. सीसीटीवी कैमरा लगाने के लिए लोगों को प्रेरित करें.
एसपी डॉ सत्य प्रकाश रविवार को अचानक दाउदनगर पुलिस इंस्पेक्टर कार्यालय का निरीक्षण करने पहुंचे थे. उनके पहुंचते ही पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस कर्मियों द्वारा उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया, जिसके बाद उन्होंने पुलिस इंस्पेक्टर कार्यालय का निरीक्षण किया तथा पुलिस इंस्पेक्टर के के साहनी को भी आवश्यक दिशा निर्देश दिये गये. एसडीपीओ ने बताया कि पुलिस अधीक्षक द्वारा आठ अनुसंधानकर्ताओं का वेतन बंद करने का आदेश दिया गया है. इस मौके पर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजकुमार तिवारी, दाउदनगर थानाध्यक्ष अभय कुमार सिंह समेत ने अन्य पुलिस पदाधिकारी मौजूद रहे.
आठ पुलिस पदाधिकारियों का वेतन बंद
पुलिस अधीक्षक द्वारा निरीक्षण के दौरान जिन पुलिस पदाधिकारियों का वेतन रोकने का आदेश दिया गया है, उनमें हसपुरा थाने के सब इंस्पेक्टर दिलीप कुमार मांझी, सब इंस्पेक्टर अर्जुन दास, सब इंस्पेक्टर सुनील कुमार, दाउदनगर थाने के सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ,आशीष कुमार शाह ,धर्मेंद्र कुमार सिंह सहायक अवर निरीक्षक अरुण कुमार सिंह एवं सहायक अवर निरीक्षक ब्रजेश कुमार यादव शामिल हैं. आशीष कुमार साह वर्तमान में फ्रेशर थानाध्यक्ष हैं. वहीं, सहायक अवर निरीक्षक कमलेश्वरी प्रसाद सिन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश एसपी द्वारा दिया गया है. बताया गया कि इन पर 73 केसों में अंतिम प्रपत्र लंबित रखने का आरोप है.