आधुनिक बिहार के निर्माता थे डॉ सच्चिदानंद बाबू

औरंगाबाद : आधुनिक बिहार के निर्माण में डॉसच्चिदानंद सिन्हा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. नवयुग के निर्माण उनकी अहम भूमिका थी. उक्त बातें प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो टीएन सिन्हा ने विचार गोष्ठी में कही. शहर के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज में बुधवार को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की पुण्य तिथि पर गोष्ठी आयोजित की गयी थी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 7, 2019 8:04 AM

औरंगाबाद : आधुनिक बिहार के निर्माण में डॉसच्चिदानंद सिन्हा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. नवयुग के निर्माण उनकी अहम भूमिका थी. उक्त बातें प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो टीएन सिन्हा ने विचार गोष्ठी में कही. शहर के सच्चिदानंद सिन्हा कॉलेज में बुधवार को डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की पुण्य तिथि पर गोष्ठी आयोजित की गयी थी.

इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो टीएन सिन्हा ने कहा कि भारतीय संविधान में डॉ सच्चिदानंद सिन्हा का बड़ा योगदान है. संविधान समिति के सदस्य इनका काफी सम्मान करते थे.
ये संविधान सभा पहले अस्थायी सदस्य थे. आज इस कॉलेज की पहचान डॉ सच्चिदानंद सिन्हा के नाम से विदेशों में भी है. डॉ विजय अखौरी ने कहा कि इनकी बुद्धिमता का यह प्रभाव था कि संविधान समिति के लोग घंटो पटना स्थित इनके आवास पर बैठकर इनके मार्गदर्शन में संविधान का प्रारूप तैयार करते थे. गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कहा कि इतना बड़ा शैक्षणिक संस्थान होना शहर के लिए गर्व जैसा है.
आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय शिक्षण संस्थान के रूप में यह विकसित होगा. कॉलेज परिसर में डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की आदमकद प्रतिमा लगाने पर भी चर्चा की गयी. वक्ताओं ने कहा कि जयपुर में प्रतिमा तैयार हो रही है, जो शीघ्र ही स्थापित की जायेगी. गोष्ठी में प्रो चंद्रशेखर पांडेय, प्रो कासिम, डॉ अमित मिश्रा, डॉ देवेन्द्र सिंह, डॉ ओम प्रकाश, प्रो संजय कुमार, प्रो निहारिका सिंह, प्रो नारायण सिंह समेत अन्य प्रोफेसर व कॉलेज कर्मी शामिल हुए.

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