आसमान से बरस रही आग, पारा 45 के पार

औरंगाबाद शहर : भीषण गर्मी से जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है. आसमान से बरस रही आग लोगों को झुलसा रही है. वहीं लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया. भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप का आलम यह है कि पूरे दिन सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. जब आवश्यक काम […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2019 7:54 AM

औरंगाबाद शहर : भीषण गर्मी से जनजीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है. आसमान से बरस रही आग लोगों को झुलसा रही है. वहीं लू के थपेड़ों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया. भीषण गर्मी व चिलचिलाती धूप का आलम यह है कि पूरे दिन सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. जब आवश्यक काम हो रहा, तभी लोग घरों से बाहर निकल रहे. वैसे अधिकांश लोग सुबह में ही जरूरी कामों को निबटा ले रहे हैं.

इसके बाद पूरे दिन अपने घरों में दुबक जा रहे हैं. तापमान में भी लगातार बढ़ोतरी हो रही है. दो दिनों से तो जीना मुश्किल सा हो गया है. बुधवार को तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया. सिरिस कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ नित्यानंद की मानें तो फिलहाल तापमान में और वृद्धि होने की उम्मीद है.
गर्मी से राहत नहीं मिलने वाली है. गुरुवार को एक डिग्री बढ़ोतरी होकर पारा को 46 डिग्री तक पहुंचने की उम्मीद है. हवा पूरी तरह लू में तब्दील हो गई है. गर्म हवा के थपेड़े शरीर झुलसा रहे हैं. चिलचिलाती धूप में कुछ देर निकलते ही लोगों के पसीने छूटने लग रहे हैं. सुबह सूर्य की किरणें निकलते ही शरीर झुलसने लग रही है. देर शाम तक धूप की कड़ी तपिश का असर रह रहा है. दिन में तो घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है.
करनी होगी पानी की बचत: पानी की बचत अब जिम्मेदारी नहीं बल्कि मजबूरी बनने लगी है. घरों में बर्तन की सफाई-कपड़े की धुलाई व स्नान के लिए पानी में कमी लाने की आवश्यकता है.
इसके साथ ही उक्त पानी का दोबारा कैसे प्रयोग किया जाये इस पर विचार की जरूरत है. पानी की किल्लत ने लोगों को इसकी बचत करने के लिए विकल्प ढूंढने को विवश कर दिया है.
बोतलबंद पानी व जार की बढ़ी मांग
रेलवे स्टेशन से लेकर विभिन्न बस पड़ावों पर पेयजल की स्थिति अच्छी नहीं है. लिहाजा बोतल बंद पानी की मांग काफी बढ़ी है. जबकि जिले में भूगर्भीय जलस्तर में लगातार गिरावट आ रही है. शहर में सबमर्सिबल व चापाकल जवाब देने लगे हैं. यह स्थिति किसी एक मुहल्ले की नहीं है. लोगों को 10 से 15 फुट पाइप जुड़वाना पड़ रहा है, तब जाकर सबमर्सिबल व चापाकल से थोड़ा पानी निकल रहा है. इस स्थिति में घरों में भी आरओ प्लांट से पानी खरीदा जा रहा है.

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