18 साल में जिले में 1331 लोगों की हुई हत्या, किडनैपिंग के 887 मामले
शुभाशीष पांडेय, औरंगाबाद : औरंगाबाद जिले में अपराधों का बढ़ना चिंताजनक है. 2005 में प्रदेश में एनडीए की सरकार बनने के बाद आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगी थी. लेकिन, हाल के वर्षों में घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. जिले के थानों से मिले आंकड़ों पर गौर करें, तो 2001 से 2019 के मार्च तक […]
शुभाशीष पांडेय, औरंगाबाद : औरंगाबाद जिले में अपराधों का बढ़ना चिंताजनक है. 2005 में प्रदेश में एनडीए की सरकार बनने के बाद आपराधिक घटनाओं पर लगाम लगी थी. लेकिन, हाल के वर्षों में घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है. जिले के थानों से मिले आंकड़ों पर गौर करें, तो 2001 से 2019 के मार्च तक औरंगाबाद जिले में 59,491 संगीन आपराधिक वारदात हुए है. इनमें हत्या, दुष्कर्म, चोरी, अपहरण, लूट, छिनतई, दंगा जैसे आपराधिक वारदात शामिल हैं. औरंगाबाद में 18 साल तीन महीने के अंदर 1331 लोगों की हत्या हुई है. इसके अलावा 299 दुष्कर्म घटनाएं हुई है.
इस दौरान 4254 बार छोटे बड़े सांप्रदायिक व सामान्य दंगे भी हुए है. पुलिस डायरी में 4753 चोरी के मामले भी दर्ज हैं. इन 18 सालों में 887 किडनैपिंग हुई है. इनमें 27 मामले ऐसे है जिन्हें फिरौती के लिए किया गया है.
हत्या में 2013, तो किडनैपिंग में 2014 अव्वल
साल 2001 से लेकर 2019 के मार्च महीने तक देखे तो वर्ष 2013 हत्या के मामले में अव्वल रहा है. औरंगाबाद में साल 2013 में सबसे अधिक 101 हत्याएं हुई. दूसरे व तीसरे पायदान पर वर्ष 2010 व 2002 है. 2010 में औरंगाबाद के अंदर 97 व 2002 में 96 हत्याएं हुई. वहीं, किडनैपिंग के मामले 2014 में सबसे अधिक आये. 2014 में 87 मामले किडनैपिंग के आये. इसमें से एक मामला ऐसा था जो फिरौती से जुड़ा था. दुष्कर्म के मामलों में भी कोई कमी नहीं आयी है. सबसे अधिक 2012 में 22 मामले आये.
अपराध पर नियंत्रण के लिए पुलिस लगातार कर रही प्रयास : एसपी
पहले की तुलना में अपराध पर नियंत्रण किया गया है. तमाम थानाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है कि वे अपराधियों पर कड़ी निगरानी रखे और जो लोग थाना में गुहार लगाने पहुंचते है उनकी गुहार सुनी जाये. स्पीडी ट्रायल चला कर अपराधियों को त्वरित सजा दिलाने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है.
दीपक वर्णवाल, एसपी, औरंगाबाद
2011 में पूरे प्रमंडल में सबसे ज्यादा उपद्रव औरंगाबाद में
वर्ष 2011 ऐसा साल था जब पूरे मगध प्रमंडल में सबसे अधिक दंगा या उपद्रव औरंगाबाद में ही हुआ. वर्ष 2011 में औरंगाबाद में 334 दंगे व उपद्रव के मामले दर्ज किये गये हैं. ये पूरे मगध प्रमंडल के सभी जिलों में सबसे अधिक थे. 2011 में ही गया में 262 बार दंगे हुए थे जो औरंगाबाद से कम थे.