औरंगाबाद : निर्भया कांड के अभियुक्त अक्षय ठाकुर के गांव में पसरा सन्नाटा, रोजगार की तलाश में गया था दिल्ली
औरंगाबाद : निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया. कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर कर दी है. फांसी की तिथि तय होते ही उसके गांव में सन्नाटा पसर गया. अक्षय की मां, पिता, पत्नी व […]
औरंगाबाद : निर्भया गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चारों दोषियों की फांसी की सजा बरकरार रखते हुए डेथ वारंट जारी कर दिया. कोर्ट ने 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर कर दी है. फांसी की तिथि तय होते ही उसके गांव में सन्नाटा पसर गया. अक्षय की मां, पिता, पत्नी व पुत्र की हालत रोते-रोते बेहाल हो गया.
परिवार का कोई भी सदस्य कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है. ग्रामीणों ने इस संबंध में कुछ कहने को तैयार नहीं हैं. गौरतलब है कि निर्भया गैंगरेप के चार दोषियों में से एक आरोपित अक्षय ठाकुर औरंगाबाद जिले के टंडवा थाना क्षेत्र के लहंगकर्मा गांव का रहने वाला है. अक्षय ठाकुर की फांसी को लेकर जारी डेथ वारंट की गांव में दबी जुबान से चर्चा शुरू हो गयी. ग्रामीणों का मानना है कि अक्षय ठाकुर का नाम निर्भया मामले में आने से गांव की बदनामी हुई है. इस मुद्दे पर बात कर ग्रामीण अक्षय के परिवार और अपने गांव को और बदनाम नहीं करना चाहते हैं.
रोजगार की तलाश में गया था दिल्ली : अक्षय ठाकुर 2011 में पढ़ाई छोड़कर घर से दिल्ली नौकरी करने गया था. राम सिंह ने अक्षय को बस कंडक्टर के काम में लगा दिया. राम सिंह के सहारे वह फल बेचने वाले पवन गुप्ता से भी घुल-मिल गया था. निर्भया कांड के बाद अक्षय भागकर अपने गांव आ गया था. आरोपित अक्षय ठाकुर को दिल्ली पुलिस ने बिहार के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर अपने साथ ले गयी थी.