फोटो नंबर-4)परिचय- जर्जरता का शिकार शिल्प प्रशिक्षण केंद्र(प्लान खबर)

शिल्प प्रशिक्षण केंद्र बदहाली पर बहा रहा आंसू भवन में लगे लोहे के दरवाजे टूट कर गिर रहेदाउदनगर (अनुमंडल)एक तरफ जहां सरकार द्वारा बेरोजगारों का पलायन रोकने के लिए स्वरोजगार को अपनाने हेतु तरह-तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे है, तो दूसरी तरफ लगभग तीन दशक पहले तक बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने वाला दाउदनगर का […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 24, 2014 5:02 PM

शिल्प प्रशिक्षण केंद्र बदहाली पर बहा रहा आंसू भवन में लगे लोहे के दरवाजे टूट कर गिर रहेदाउदनगर (अनुमंडल)एक तरफ जहां सरकार द्वारा बेरोजगारों का पलायन रोकने के लिए स्वरोजगार को अपनाने हेतु तरह-तरह के कार्यक्रम चलाये जा रहे है, तो दूसरी तरफ लगभग तीन दशक पहले तक बेरोजगारों को प्रशिक्षण देने वाला दाउदनगर का मौलाबाग स्थित शिल्प प्रशिक्षण केंद्र वीरान पड़ा हुआ है, जो जर्जरता का शिकार होकर अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है. इसका भवन जर्जर हो चुका है. खिड़कियां व लोहे के दरवाजे टूटने लगे है. इसका ताला खुलने पर ही उपकरणों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. जानकारी के अनुसार, बेरोजगार नौजवानों को स्वरोजगार हेतु प्रशिक्षण देने के उद्देश्य से 80 के दशक में इसकी स्थापना की गयी थी. 1980 में चाकूलिया सिंहभूम (अब छत्तीसगढ़) से यह शिल्प प्रशिक्षण केंद्र यहां स्थानांतरित होकर आया था तथा इसे महाप्रबंधक उद्योग औरंगाबाद के अधीन रखा गया था. स्थापना के बाद यहां बेरोजगारों को प्रशिक्षण मिलता था तथा सरकार नियमित रूप से छात्रवृत्ति भी देती थी. अधीक्षक के अलावे भंडारपाल, कैशियर, पांच-पांच कर्मचारी पदस्थापित थे. सन 1996 -97 के बाद यह केंद्र ग्रामीण विकास अभिकरण के अंतर्गत आ गया तथा उप विकास आयुक्त इसके संरक्षक बने. उसके बाद यह केंद्र बंद हो गया. बंद कमरे में उपस्कर आज भी पड़े हैं. अब यह केंद्र उपला ठोकने के काम आ रहा है. स्थानीय पशुपालक इसका उपयोग उपला ठोकने में कर रहे हैं. इसका कुछ परिसर भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में चला गया है. इस शिल्प प्रशिक्षण केंद्र की जीर्णोद्धार करने की जरूरत है. ताकि पूर्व की तहर बेरोजगारों को स्वरोजगार का विकल्प मिल सके.

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