कब दूर होगी परिवहन विभाग की सुस्ती !

औरंगाबाद(ग्रामीण): सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. शराब पीकर गाड़ी न चलाये. यातायात नियमों का पालन करें. धीरे चले, परिजन इंतजार कर रहे होंगे. यह स्लोगन विभिन्न राज मार्गो पर बोर्ड पर अंकित हैं. सावधान करने के लिए लगे स्लोगन का पालन कितना हद तक होता है यह आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं से ही पता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 31, 2014 9:57 AM

औरंगाबाद(ग्रामीण): सावधानी हटी, दुर्घटना घटी. शराब पीकर गाड़ी न चलाये. यातायात नियमों का पालन करें. धीरे चले, परिजन इंतजार कर रहे होंगे. यह स्लोगन विभिन्न राज मार्गो पर बोर्ड पर अंकित हैं. सावधान करने के लिए लगे स्लोगन का पालन कितना हद तक होता है यह आये दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं से ही पता चलता है.

अधिकतर मामलों में यातायात नियमों का पालन न करना ही दुर्घटना का कारण बनता है. पिछले 15 वर्षो में दोपहिया वाहनों की संख्या में 90 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. अब सड़कों पर साइकिल कम मोटरसाइकिल अधिक दिखती है. इन दिनों 12 से 16 वर्ष के बीच के उम्र के युवा भी मोटरसाइकिल चलाते खूब दिख रहे हैं, जिन्हें न तो यातायात नियम की जानकारी होती है और न ही सुरक्षा हेतु बनाये गये हेलमेट, जूते व अन्य आवश्यक साधनों का उपयोग करने की ललक. दूसरी ओर वाहन की रफ्तार क्षमता में इजाफा कर कंपनियां एक के बाद एक वाहनों को बाजार में उतार रही है. 10 किलोमीटर से लेकर 350 किलोमीटर प्रति घंटे वाली मोटरसाइकिल कंपनियां बाजार में उतार चुकी है.

ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि सड़क पर सरपट इन वाहनों को दौड़ाने वाले चालकों में अधिकतर कम उम्र के ही होते हैं, जो रफ्तार के जादूगर बन कर वाहन चलाते है. दोपहिया वाहन दुर्घटना में ज्यादातर मौत हेलमेट व जूते के इस्तेमाल न करने के कारण व रफ्तार पर नियंत्रण न रखने के कारण होती है. दूसरी ओर 50 प्रतिशत मामलों में यातायात नियमों का पालन न करना व नियम के विरुद्ध सड़क का इस्तेमाल करने से भी दुर्घटना घटती है.

दोपहिया वाहन पर ट्रिपल लोडिंग भी दुर्घटना का सबब बनता है. पुलिस विभाग तो लगातार चेकिंग अभियान चला कर लोगों पर नियम का पालन करने के लिए दबाव बनाती है. पर, परिवहन विभाग इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रहा है. कम उम्र के बच्चे को सड़क पर वाहन दौड़ाने की छूट देकर परिवहन विभाग दुर्घटना को बढ़ाने में काम कर रहा है. विभाग अपने को इससे दोषमुक्त साबित नहीं कर सकता. दूसरी ओर सड़क के आसपास शराब दुकान खुलने के कारण भी दुर्घटना में इजाफा हुई है. लोग सड़क पर चलते-चलते शराब की बोतले खाली कर रहे है. वाहन दुर्घटना में 40 प्रतिशत मामला शराब से जुड़ा पाया जाता है. जबकि दो से तीन प्रतिशत मामले अचिह्न्ति ब्रेकर अथवा सड़क पर उभरे गड्ढे के कारण होती है. पुलिस केवल शराब पीकर ड्राइविंग करने वालों पर लगाम कस दे तो सड़क दुर्घटना में भारी कमी आ सकती है.

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