‘परियोजना पर सरकार कर रही राजनीति’

नौ जनवरी को दिल्ली में आयोजित बैठक में सूबे के जल संसाधन व वन विभाग के पदाधिकारी नहीं पहुंचे औरंगाबाद कार्यालय : उत्तर कोयल परियोजना के कुटकु डैम में फाटक लगाने पर लगाये गये प्रतिबंध को हटाने में बिहार की सरकार राजनीति कर रही है. नौ जनवरी को दिल्ली में आयोजित बैठक में बिहार सरकार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 14, 2015 8:30 AM
नौ जनवरी को दिल्ली में आयोजित बैठक में सूबे के जल संसाधन व वन विभाग के पदाधिकारी नहीं पहुंचे
औरंगाबाद कार्यालय : उत्तर कोयल परियोजना के कुटकु डैम में फाटक लगाने पर लगाये गये प्रतिबंध को हटाने में बिहार की सरकार राजनीति कर रही है. नौ जनवरी को दिल्ली में आयोजित बैठक में बिहार सरकार के जल संसाधन एवं वन विभाग के पदाधिकारियों को नहीं पहुंचना, इसका ज्वलंत उदाहरण है.
उक्त बातें मंगलवार को औरंगाबाद में सांसद सुशील कुमार सिंह ने प्रेसवार्ता में कहीं. सांसद ने कहा कि 40 वर्ष पूर्व उतर कोयल नहर परियोजना की शुरुआत हुई थी. 1993 के बाद इस परियोजना पर कोई चर्चा नहीं हो रही थी, जब मैं दूसरी बार सांसद बना और महसूस किया कि इस क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजना उत्तर कोयल है, तो इस मुद्दे को 2009 में पहली बार सदन में उठाया.
हमने लगातार सदन में व संबंधित विभाग के पदाधिकारियों के समक्ष इस मुद्दे को उठाया. हमने कई बार भारत सरकार के वन व पर्यावरण मंत्रालय , जल संसाधन मंत्रालय को पत्र लिखे. सभी जगहों से एक ही जवाब मिला कि 2007 में वन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा डैम में फाटक लगाने पर रोक लगायी गयी है.
1980 एक्ट में यह प्रावधान है कि किसी अन्य कार्य में यदि वन भूमि का उपयोग किया जाता है तो उसके बदले उतनी जमीन वहां की राज्य सरकार वन विभाग को दे. हमने इस पर छूट देने के लिए आग्रह किया, लेकिन इसका मान्य नहीं किया गया. 2014 में जब हम चुनाव जीते तो हमने सबसे पहले उत्तर कोयल परियोजना का काम पूरा कराने का किये गये वादे को पूरा करने के लिए संकल्प लेकर शुरू किया.
मेरे प्रयास से नौ जनवरी को दिल्ली में वन व पर्यावरण मंत्रालय के महानिदेशक द्वारा बैठक रखी गयी, जिसमें बिहार व झारखंड सरकार के जल संसाधन एवं वन मंत्रालय , सिंचाई व वन पर्यावरण विभाग के पदाधिकारियों को बुलाया गया. झारखंड से वन विभाग के पदाधिकारी गये, सिंचाई विभाग से नहीं गये. लेकिन बिहार से तो दोनों विभाग के पदाधिकारी नहीं पहुंचे.
कुछ संबंधित विभाग के लोग दिल्ली में रहते थे, वह केवल खानापूर्ति के लिए पहुंचे. इससे बैठक में चर्चा नहीं हो सकी और इसके लिए एक और बैठक रखी गयी है. इसका मतलब साफ है कि जनहित कार्य में बिहार सरकार की कोई रुचि नहीं है. सत्ताधारी लोग राज्य की जनता को बांटने व गुंडाराज कायम करने में लगे हुए हैं. इन्हें जनसेवा से कोई सरोकार नहीं है.

Next Article

Exit mobile version