औरंगाबाद कार्यालय: बढ़ती गरमी में औरंगाबाद में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. जलस्तर नीचे चले जाने के कारण पीने के पानी को लेकर संकट उत्पन्न हो गया है. शहर में गांव-देहात से आनेवाले लोगों को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा है. स्थिति यह है कि खान-पान की दुकानों में लोग प्यास बुझाने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन, दुकानदार बिना सामान खरीदे पानी की इजाजत नहीं दे रहे. मजबूरी में लोगों को रुपये देकर पानी पीना पड़ रहा है. अनायास लोगों के मुंह से निकल रहा है कि उफ ये गरमी..! कोई तो पानी पिला दो..
एक प्याऊ, कई हैं प्यासे
औरंगाबाद शहर की आबादी डेढ़ लाख से ऊपर है. इतनी आबादी शहर में स्थायी रूप से निवास करती है. लेकिन, हर रोज गांव-देहात से लाखों लोग आते हैं. इनके लिए महज एक ही स्थायी प्याऊ गणपति मंदिर के पास है. इसके सिवा कहीं भी पानी पीने की कोई व्यवस्था नहीं है.
गणपति मंदिर के पास सांसद निधि से बना है प्याऊ
गणपति मंदिर के पास बना प्याऊ भाजपा सांसद सुशील कुमार सिंह की निधि से छह लाख से बना है. यहां वाटर फिल्टर भी लगा हुआ है. इससे स्वच्छ पानी लोगों को पीने को मिल रहा है.
समाजसेवी संगठनों ने नहीं की पानी के लिए पहल
जानकार बताते हैं कि पिछले कई वर्षो के बाद इस तरह की गरमी पड़ रही है. हर साल समाजसेवी संगठन प्याऊ की व्यवस्था करते हैं, लेकिन इस वर्ष सभी अपना हाथ मोड़े हुए हैं. कहीं भी किसी संस्थान द्वारा प्याऊ नहीं खोला गया.
प्याऊ खोलने के लिए आगे आएं संगठन : डीएम
जिलाधिकारी नवीन चंद्र झा ने पेयजल की समस्या को लेकर समाजसेवी संगठनों से प्याऊ खोलने की अपील की है. उन्होंने कहा कि संगठन आगे आये व शहर की भीड़-भाड़ वाली जगहों खासकर बस स्टैंड, रिक्शा स्टैंड व ऑटो स्टैंड आदि में प्याऊ खोलें.
सरकारी स्तर पर भी हो रही पानी की व्यवस्था
जिला प्रशासन भी अपने स्तर से लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए व्यवस्था में जुट गया है. जिलाधिकारी ने कहा कि सदर अनुमंडल पदाधिकारी को समाहरणालय, न्यायालय परिसर व सदर अस्पताल के पास पीने का स्वच्छ पानी की व्यवस्था करने को कहा गया है.