अंबा/कुटुंबा (औरंगाबाद): कुटुंबा थाना क्षेत्र के ओरडीह गांव में लूट का अंजाम देने आये डकैतों को महंगा पड़ा. डकैतों को अचानक ग्रामीणों से मुठभेड़ का सामना करना पड़ा, जिसमें एक डकैत मारा गया. इसमें ग्रामीणों ने साहस दिखाया और डकैतों के हथियार व बम के परवाह किये जोरदार मुकाबला किया.
हालांकि इसमें मोबाइल ने सबसे अधिक भूमिका निभायी. मोबाइल के कारण ही कुटुंबा थाना क्षेत्र के अंबा-नवीनगर रोड के ओरडीह गांव के समीप तुरता मोड़ पर सोमवार के रात अनिल मेहता के घर घुसे डकैतों का ग्रामीणों ने मुंहतोड़ जवाब दिया, बल्कि भागने पर मजबूर कर दिया और एक को मार डाला भी. यदि गांव के लोगों के पास मोबाइल नहीं होता तो कई घरों में डाका पड़ सकता था. पता चला है कि अनिल मेहता की पत्नी हलचल को भांप कर पति को इशारे से जगायी, तो उसने अपने पूरे परिवार के साथ एक रूम में पहले सुरक्षित हो गये.
फिर मोबाइल से फोन कर इसकी सूचना गांववालों को देना शुरू कर दिया. डकैत पूरी तरह आधुनिक हथियार से लैस थे. ऐसे में अकेला अनिल कुछ नहीं कर सकते थे. अकेला हो हल्ला करने पर उसकी जान भी जा सकती थी. ग्रामीणों के अनुसार अपराधी लगभग 15 से 20 की संख्या में थे. फिर ग्रामीणों ने भी अपने मोबाइल से फोन कर पूरे गांववालों व सोहर बिगहा के लोगों को सूचना दे दी. कुछ ही क्षण में ओरडीह व सोहर बिगहा के लोग घटनास्थल पर पहुंच गये. डकैतों का गिरोह ग्रामीणों को देख कर भागना शुरू किया. अपने को घिरे समझ कर डकैतों ने कई राउंड फायरिंग की. तुरता मोड़ पर पहुंच कर डकैतों ने कई बम ब्लास्ट भी किये. बम व गोली चलने के बाद भी ग्रामीण डकैतों का पीछा करना नहीं छोड़ा. इसी क्रम में सोहर बिगहा बधार में डकैतों व ग्रामीणों के बीच मुठभेड़ भी होने की सूचना है. ग्रामीणों की संख्या अधिक होते देख अंधेरे का फायदा उठा कई डकैत भाग निकलने में सफल हो गये, पर एक मारा गया. उसका दाया हाथ पहले से ही कटा हुआ है.
डकैतों ने लिया था बांस की सीढ़ी का सहारा
डकैतों ने घर में प्रवेश करने के लिए बांस की सीढ़ी का सहारा लिया था. एक बांस सीढ़ी अनिल मेहता के दीवार में लगाया था. समीप में ही अयोध्या प्रजापति के घर के पास भी बांस की बड़ी सीढ़ी पाया गया. इससे लोगों का अनुमान है कि मौके का लाभ उठा कर डकैत दर्जनों घर में डाका डाल सकते थे.
भनक लगते ही पहुंची पुलिस भी
घटना की सूचना मिलने के बाद भी पुलिस अक्सर देर से घटनास्थल पर पहुंचती है. लेकिन सोमवार की रात कुटुंबा पुलिस घटना की भनक लगते ही दल बल के साथ घटनास्थल पर पहुंच गयी. कुछ ही क्षण में पुलिस इंस्पेक्टर चंद्र कुमार भी पहुंच गये. थानाध्यक्ष सुभाष राय के साथ, पुलिस पदाधिकारी डीएन सिंह, अरविंद कुमार आदि भी मौजूद थे. थानाध्यक्ष ने मुठभेड़ में मारा गया डकैत के शव को कब्जे में लेकर त्वरित कार्रवाई शुरू कर दी. बरामद बम को भी पुलिस ने भी सुरक्षा में ले लिया और चौकीदार को तैनात कर दी. बाद में डेहरी से आये बम निरोधक दस्ता ने बरामद बम को डिफ्यूज कर दिया. गौरतलब है कि यह क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित माना जाता है. घटनास्थल पहाड़ की तलहटी व तीन ओर से रामरेखा नदी से घिरी हुई है. घटनास्थल से सटे नवीनगर थाना का बॉर्डर है.
पैंट-शर्ट पर लगा है स्टीकर
बरामद हुए पैंट-शर्ट पर जुगुनु टेलर बरांव रोहतास का स्टीकर लगा हुआ है. इससे पुलिस का माना है कि डकैत का सरगना रोहतास जिले से भी जुड़ा है. थानाध्यक्ष ने सभी बरामद सामान की जांच की बात कही है.
पहले भी ग्रामीणों ने लिया था डकैतों से पंगा
ऐसा नहीं कि ओरडीह, सोहर बिगहा, समदा व बतसपुर के ग्रामीणों ने पहली बार डकैती का सामना किया है. वर्ष 1986 में सोहर बिगहा के देवकी मेहता के घर डाका डालने आये डकैतों को भी खाली हाथ भागना पड़ा था. इसके पहले बतसपुर में डकैत खाक छानते रह गये थे, पर उन्हें भी कुछ खास हाथ नहीं लगा था.
डकैतों का बरामद सामान
पुलिस ने घटनास्थल पर सीढ़ी, गांव के बधार से तीन शर्ट, तीन पैंट, एक तौली, बेल्ट, एक पर्स, बांस का डंडा, कई झोले, प्लास्टिक की रस्सी, पानी का बोतल, गांजा, खैनी, गुड़ की मिठाई आदि पाया. भागते समय अपराधियों के कई जगहों पर जूता-चप्पल भी छूट गये.