सड़क व पुल निर्माण को लेकर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, नारेबाजी
औरंगाबाद (नगर) : काराकाट के सांसद महाबली सिंह को कार्यक्रम में शामिल होने के पूर्व ग्रामीणों के आक्रोश का सामना करना पड़ा. काफी देर तक सांसद को ग्रामीणों ने घेरे रखा. आक्रोशित नारे लगाये, वापस जाने की सलाह दी, वोट बैंक बना कर छोड़ने की बात कही.
जैसे–तैसे सांसद कार्यक्रम स्थल तक पहुंचे, लेकिन ग्रामीणों के आक्रोश को वे भूल नहीं पायेंगे. हुआ यह कि काराकाट सांसद महाबली सिंह को सुंदरगंज स्थित एक विद्यालय में आयोजित समारोह में शामिल होना था. सांसद अपने काफिले के साथ जैसे ही सुंदरगंज बाजार में पहुंचे, सैकड़ों की संख्या में सुंदरगंज व आसपास के गांव के ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया.
ग्रामीण सबसे पहले सांसद के विरुद्ध आक्रोशित नारे लगाये और उन्हें तत्काल वापस लौटने की बात कही. ग्रामीणों का कहना था कि हमलोगों ने लोकसभा चुनाव में एकमत होकर सांसद को विजयी बनाया था. लेकिन उसके बदले हमें कुछ भी नहीं मिला. विकास कार्य ठप हो गये. औरंगाबाद को नवीनगर से जोड़ने वाली चतरा–नवीनगर भाया माली पथ की स्थिति जजर्र होने के बाद भी निर्माण नहीं कराया गया. अरसे से बटाने नदी पर बना पुल ध्वस्त है.
लेकिन इसके निर्माण में भी जनप्रतिनिधियों ने भी रुचि नहीं दिखाई. ग्रामीणों का यह भी कहना था कि गोकुल सेना के कार्यकर्ता संजीव नारायण सिंह पुल व सड़क निर्माण को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे,लेकिन इसका भी समर्थन सांसद ने नहीं किया, न जनता का हाल जाना, न ही हड़ताली का.
जब चुनाव नजदीक पहुंचा तो ये अपना दौरा प्रारंभ कर दिये. सांसद को रोके जाने की सूचना पाकर रिसियप थानाध्यक्ष शंभु कुमार, मुफस्सिल इंस्पेक्टर राजकुमार पासवान सुंदरगंज पहुंचे. ग्रामीणों को काफी समझाया बुझाया, लेकिन उनकी एक नहीं चली. इसी क्रम में नवीनगर के जदयू विधायक वीरेंद्र कुमार सिंह पहुंचे, आक्रोशित ग्रामीणों को समझाने बुझाने का प्रयास किया.
लेकिन उन्हें भी आक्रोश का सामना करना पड़ा. काफी देर के बाद सांसद कार्यक्रम की ओर रवाना हुए. लेकिन इस क्रम में भी ग्रामीणों ने जाते–जाते अल्टीमेटम दे दिया कि जनता अब सब समझ चुकी है. आगामी लोकसभा चुनाव में हम सभी वोट का बहिष्कार करेंगे.
क्या कहते हैं सांसद
सुंदरगंज की घटना पर काराकाट सांसद महाबली सिंह ने कड़ा एतराज जताया है. उन्होंने कहा है कि असामाजिक तत्व के लोगों ने सुनियोजित तरीके से कानून को हाथ में लेते हुए इस तरह का कार्य किया है.
लोकतंत्र में किसी भी मांग के लिए तौर–तरीके होने चाहिए. अगर हम सूझ बूझ से काम नहीं लिये होते तो कुछ भी हो सकता था. यह मामला गंभीर है. सांसद ने यह भी कहा है कि भीड़ में कई लोग शराब पिये हुए थे. इस तरह की घटना का जितनी भी निंदा की जाये वह कम है.