लाखों रुपये से बना जलमीनार नहीं हुआ चालू

लाखों रुपये से बना जलमीनार नहीं हुआ चालू छठ व्रतियों को इस बार भी पानी की होगी समस्या (फोटो नंबर-17)कैप्शन- मेला मैदान में बंद पड़ा जलमीनार(पेज पांच की लीड) औरंगाबाद/देव पौराणिक और ऐतिहासिक सूर्य नगरी देव में पहुंचनेवाले लाखों छठ व्रतियों व स्थानीय लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध कराये जाने की योजना खटाई में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 6:49 PM

लाखों रुपये से बना जलमीनार नहीं हुआ चालू छठ व्रतियों को इस बार भी पानी की होगी समस्या (फोटो नंबर-17)कैप्शन- मेला मैदान में बंद पड़ा जलमीनार(पेज पांच की लीड) औरंगाबाद/देव पौराणिक और ऐतिहासिक सूर्य नगरी देव में पहुंचनेवाले लाखों छठ व्रतियों व स्थानीय लोगों को आसानी से पानी उपलब्ध कराये जाने की योजना खटाई में पड़ती दिख रही है. देव के मेला मैदान में लाखों रुपये खर्च कर बनाये गये जलमीनार सिर्फ कुतुबमीनार की तरह खड़ा दिखाई पड़ रहा है. इससे भविष्य में भी दूर-दूर तक पानी सप्लाई की योजना न के बराबर है. हालांकि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग प्रयास कर रही है. लेकिन, उन्हें सफलता नहीं मिल रही है. सच कहा जाये तो ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत एक लाख लीटर क्षमता वाली यह जलमीनार सफेद हाथी बनकर लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. वर्ष 1999 में तत्कालीन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री द्वारा शिलान्यास किया गया था. पांच साल तक शिलान्यास का कोई फायदा लोगों को नहीं मिला. फिर इसी जगह पर 13 जुलाई 2007 को तत्कालीन लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री डाॅ प्रेम कुमार ने पुन: शिलान्यास की आधारशीला रखी. शिलान्यास में लाखों रुपये खर्च हुए और लाखो खर्च कर जलमीनार को खड़ा किया गया. इसके पीछे एक मात्र उदेश्य था कि इस जलमीनार का फायदा देव के हजारोे लोगों और चैत व कार्तिक छठ मेला में पहुचनेवाले लाखों श्रद्धालुओं को आसानी से मिले. श्रद्धालुओं को तो इसका लाभ मिला नहीं, स्थानीय लोग भी पूरी तरह वंचित रह गये. हर बार छठ मेले में पानी के लिए हाहाकार होता है. जिला प्रशासन श्रद्धालुओं को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की घोषणा हर बार करती है. लेकिन, जल संकट बरकरार रहता है. देव में ही जलमीनार के अलावा विद्युत चालित मिनी जलापूर्ति योजना के तहत कुम्हार बिगहा गांव में और ग्रामीण पाइप जलापूर्ति पूनर्गठन योजना के तहत देव शिवाला के पास पानी सप्लाई की व्यवस्था की गयी थी. मगर, आज इनकी भी हालत बदतर हो गयी है. स्थानीय लोगों की माने तो जलमीनार व जलापूर्ति योजना में करोड़ों रुपये ऐसे ही बरबाद कर दिये गये. सवाल यह उठता है कि आखिर खर्च किये गये लाखो रुपये का फायदा देव के लोगों को कब मिलेगा? चालू होने की स्थिति में नहीं है अभी जलमीनार चालू होने की स्थिति में नहीं है. इसके पीछे कई कारण हैं. चार जगहों पर पानी की सप्लाई के लिए बोर किया गया. लेकिन, कहीं भी पर्याप्त पानी नहीं मिला.बिंदु भूषण,कार्यपालक अभियंता, पीएचइडी

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