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दीपोत्सव पर 66 साल से गणेश कांडी में हो रहा नाटक का मंचन

दीपोत्सव पर 66 साल से गणेश कांडी में हो रहा नाटक का मंचनगांव के ही कलाकार पूरी निष्ठा करते आ रहे काम इस बार 12 नवंबर को वीर विक्रमादित्य व 13 को अमर सिंह राठौर नाटक का होगा मंचन आसपास के गांव के अलावा झारखंड के 10 किलोमीटर दूर के ग्रामीण आते हैं नाटक देखने […]

दीपोत्सव पर 66 साल से गणेश कांडी में हो रहा नाटक का मंचनगांव के ही कलाकार पूरी निष्ठा करते आ रहे काम इस बार 12 नवंबर को वीर विक्रमादित्य व 13 को अमर सिंह राठौर नाटक का होगा मंचन आसपास के गांव के अलावा झारखंड के 10 किलोमीटर दूर के ग्रामीण आते हैं नाटक देखने (फोटो नंबर-2)परिचय-नाटक का मंचन करते कलाकार(फाइल फोटो) नवीनगर (औरंगाबाद)नवीनगर शहर के समीप एक मशहूर गांव है कांडी. यहां पिछले 66 वर्षों से लगातार नाटक होते आ रहा है. शहर से दक्षिण पूरब में बसा यह गांव पांच किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है. रामरेखा नदी किनारे अवस्थित यह गांव अपने प्रसिद्ध कुल पूज्य सोखा बाबा मंदिर के साथ-साथ नाटय कला रंग मंच व राजनीतिक सक्रियता के लिए भी जाना जाता है. गणेश कांडी में धन की देवी मां लक्ष्मी पूजा के साथ दो दिवसीय नाटक का मंचन 1949 से आरंभ है. यहां सबसे पहला नाटक सच्ची चिनगारी व सत्य हरिश्चंद्र का मंचन किया गया. कांडी में रंग मंच की शुरूआत का सारा श्रेय आचार्य स्व महादेव त्रिपाठी, बेचन सिंह, जगनारायण सिंह, मथुरा तिवारी को जाता है. पुराने कलाकारों में स्व अलखदेव सिंह, आदित्य सिंह, लखन तिवारी, लक्ष्मण मिस्त्री, बिगन सिंह, पूर्व सरपंच बाबू राम सिंह, समता सिंह, प्रमोद सिंह, सीता ठाकुर, शिव कुमार तिवारी, बिंदेश्वरी मिस्त्री, रामाधार तिवारी, रामराज सिंह, गुप्तेश्वर सिंह व धनंजय तिवारी ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों को काफी प्रभावित किया. इस गांव का नाटक के क्षेत्र में प्रसिद्धि के कई उदाहरण मिलते हैं. एक से बढ़ कर एक ग्रामीण कलाकार सरयू मिस्त्री जनार्दन तिवारी, प्रवेश सिंह, रमेश सिंह, शिवलोक सिंह, विनोद तिवारी, पारस सिंह, महेंद्र दूबे, बैकुंठ तिवारी, विंध्याचल सिंह, गोपाल सिंह आदि ने अपने अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने का काम किया. इस गांव से 10 किलोमीटर दूर झारखंड में पड़ने वाले दंगवार तक के लोग पूरे समूह में नाटक देखने आते थे. इतना ही नहीं वर्ष 1980 में दशहरा के अवसर पर अनुग्रह नारायण स्टेडियम नवीनगर में इस गांव के कलाकारों द्वारा किये जा रहे नाटक के वजह से शहर के शनिचर बाजार दुर्गा चौक पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम मात्र एक घंटे के अंदर बंद हो गये थे. क्योंकि, उस कार्यक्रम को देखने वाले सारे दर्शक झूंड स्टेडियम में मंचन किये जा रहे नाटक देखने के लिए आ गये थे. इस गांव के हरेक कलाकार नाटक मंचन को पूर्ण सफल बनाने में पूरी निष्ठा के साथ जुटा रहता है. इस कार्य में सबसे ज्यादा पहल त्रिवेणी सिंह, सुरेश सिंह, नरेश सिंह, वीरेंद्र तिवारी, लभरी निवासी चंदेश्वर सिंह, सिद्धि सिंह, युगेश्वर सिंह जैसे रंगकर्मियों ने किया है. इसके अलावे यहां के सभी कलाकारों में एक तरह से अंदरूनी प्रतियोगिता की भावना से कार्य करते नजर आते हैं, जो अन्य नाट्य मंडलियों से अलग है. नये व आधुनिक किस्म के नाटक मंचन में यह चार चांद लगाते हैं. नाटकों को लेकर यहां सदैव भाषा, शैली, आदि का नये प्रयोग किये जाते हैं. इस कार्य के लिए नाटक का निर्देश युगेश्वर सिंह, प्रेम तिवारी व कलाकारों के कला के अनुरूप अलंकृत करने जैसे कार्य में सुरेंद्र तिवारी बखूबी भूमिका निभाते हैं. इस गांव के बलराम तिवारी, संजय सिंह, रामजी प्रसाद सिंह, विंध्याचल सिंह, राम किशोर दूबे, रमेशर दूबे जैसे कई कलाकारों ने पौराणिक, ऐतिहासिक, सामाजिक व भक्ति नाटकों में प्रभावशाली अभिनय किया है. यहां हर साल दीपावली व गायदाढ़ पर नाटक देखने का मौका मिलता रहा है, लेकिन इस वर्ष 67 वें वार्षिकोत्सव अवसर पर पहली बार समय में बदलाव करते हुए दीपावली के दूसरे दिन गायदाढ़ से नाटक मंचन करने का बड़ा फैसला लिया गया है.12 नवंबर को ऐतिहासिक नाटक वीर विक्रमादित्य व 13 को सामाजिक नाटक अमर सिंह राठौर का मंचन ग्रामीण कलाकारों द्वारा किया जायेगा.

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