औरंगाबाद (सदर) : अक्सर सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े होते रहे हैं. यह भी देखा गया है कि सरकारी स्कूल से पढ़ाई कर निकलने के बाद अधिकतर छात्र रोजगार के लिए दौड़ लगाते रहते हैं.
दरअसल शिक्षा जगत में ये व्यवस्था की सारी कमियों में दोष सरकार को बताया जाता है. लेकिन, अगर शिक्षण संस्थान के प्राचार्य व शिक्षक अपने स्तर पर कोशिश कर विद्यालय व महाविद्यालय को छात्रों के पढ़ने योग्य बनाये और बेहतर शिक्षा का माहौल खड़ा करने का बिड़ा अपने कंधे पर उठा लें, तो सरकारी विद्यालय की स्थिति में बहुत सुधार आ सकता है.
इसका एक उदाहरण राजकीय कृत राजा जगन्नाथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय देव में देखा जा सकता है. यहां के प्राचार्य व शिक्षक अपने स्तर से बेहतर शिक्षा व छात्रों को भरपूर संसाधन उपलब्ध कराने के प्रयास में लगे हैं. राजा जग्गनाथ उच्च विद्यालय आज अपनी स्थापना काल का 77वां वर्ष भी मना रहा है. यह विद्यालय अपने स्थापना काल से एक सर्वश्रेष्ट शिक्षा का माहौल खड़ा करने के प्रयास में लगा रहा है.
इसका नतीजा है कि यहां के छात्रों का जुड़ाव हमेशा विद्यालय से बना रहता है. प्राचार्य डा यूपी सिंह ने बताया कि भगवान भास्कर की पुण्य भूमि पर स्थित राजा जगन्नाथ उच्च विद्यालय में एक म्यूजियम बनाने की तैयारी की जा रही है.
उन्होंने कहा कि इस म्यूजियम में देव के ऐतिहासिक धरोहरों को दर्शाया जायेगा तथा राजा जगन्नाथ से जुड़े तमाम तथ्य व देव किला के इतिहास को संग्रहित कर उन्हें म्यूजियम में सुरक्षित व संरक्षित किया जायेगा. इसके लिए स्थानीय जन प्रतिनिधियों से बात की गयी है. इसके लिए जिला प्रशासन का भी सहयोग बेहद आवश्यक है. म्यूजियम बनने के बाद देव के इतिहास को लोग स्पष्ट रूप से समझ पायेंगे.
विद्यालय की स्थापना का है अपना इतिहास : विद्यालय की स्थापना का एक अपना इतिहास है. सन 1938 के नवंबर में देव के जिला बोर्ड के सरकारी अस्पताल के डॉक्टर अश्विनी कुमार चटर्जी के प्रयास से देव के गण्यमान्य व्यक्तियों की एक सार्वजनिक सभा हुई. इसमें नगर के शिक्षा प्रेमियों के समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया कि देव के स्व राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह ‘किंकर’ के स्मृति में एक हाइस्कूल खोला जाये. इसका लोगों ने समर्थन किया.
फिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्यों के अनुरोध पर बड़ी रानी विश्वनाथ कुमारी ने दिनांक सात जनवरी 1938 को सात एकड़ 13 डिसमिल जमीन के साथ-साथ अपने भूतपूर्व अंगेरज मैनेजर जेसी राइट के बंगले को विद्यालय के नाम से दान कर रजिस्ट्री कर दी. इसके बाद पहले प्रधानाध्यापक के रूप में कंठी प्रसाद देशान्धी को नियुक्त किया गया और इस तरह विद्यालय में पठन-पाठन कार्य प्रारंभ हुआ. विद्यालय में आठवीं, नौवीं व 10वीं की विभागीय स्वीकृति क्रमश: 1938, 39, 40 में मिली. अब इस विद्यालय में प्लस टू तक की शिक्षा बच्चों को उपलब्ध करायी जा रही है.
स्कूल में साफ-सफाई पर विशेष ध्यान : विस्तृत प्रांगण में फैला राजकीयकृत राजा जगन्नाथ उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहले तो सरकारी विद्यालय के कार्य के अनुरूप चलता आ रहा था. पर, यहां के प्राचार्य के रूप में डाॅ यूपी सिंह ने पदभार संभाला तो इस विद्यालय का कायाकल्प ही बदल गया.
अब यहां के छात्र नियमित विद्यालय आते हैं. विद्यालय प्रबंधन से जुड़े वीरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि प्राचार्य ने अपना पदभार संभालते ही विद्यालय में चहारदीवारी का निर्माण कराया. विभिन्न सदन में बच्चों का विभाजन किया गया. कैरियर गाइडेंस के तहत बच्चों को रोजगार परक शिक्षा उपलब्ध करायी जा रही है.
साथ ही नियमित छात्रों को दूसरी पाली में प्रयोगशाला में नये-नये प्रयोग कराये जा रहे हैं. वहीं पुस्तकालय का सौंदर्यीकरण भी किया गया. विद्यालय की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देते हुए निजी सफाई कर्मी को नियुक्त किया गया. बंद पड़े कंप्यूटरों को चालू कराते हुये बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है.