मिट्टी के बरतन की घटी मांगप्लास्टिक के बरतन के उपयोग से बढ़ रही बीमारियां : डॉ श्रीराम (फोटो नंबर-5) परिचय-मिटटी का बरतन सहेजता कुम्हार अंबा (औरंगाबाद)प्रखंड में कुम्हार जाति के लोग अपने पुसतैनी धंधे के अस्तित्व बचाने में लगे हैं. प्लास्टिक युग में मिट्टी के बरतन की मांग घट गयी है. बरतन बनानेवाले कुम्हार जाति के लोग भी इस पेशे से अलग हो रहे है. मिट्टी के बरतन बनाने में जो लागत आता है उसके अनुकूल मजदूरी भी नहीं मिल पाती है. आधुनिक युग में प्लास्टिक निर्मित बरतनों का उपयोग का प्रचलन बढ़ रहा है. इस संबंध में रेफरल अस्पताल के डाॅ श्रीराम प्रसाद का कहना है कि प्लास्टिक के बरतन का उपयोग से लोगों में रोग फैल रहा है. इससे चर्म रोग व पेट से संबंधित अनेक प्रकार की बीमारियां होती है. 1970 की दशक तक पर्व, त्योहार व अन्य अवसरों पर हर घर में मिट्टी के बरतन का उपयोग होता था. लेकिन, पिछले तीन-चार दशक से अपने अस्तित्व की रक्षा व जीविकोपार्जन के लिए नये रोजगार की तलाश में हैं. वैवाहिक उत्सव, पूजा-पाठ व कर्मकांड के मौके पर ही अब मिट्टी के बरतन का उपयोग होता है. मुड़िला गांव के रामदीन प्रजापति ने बताया कि मिट्टी के बरतन बनाने में लकड़ी व अन्य सामग्री की आवश्यकता होती है. लोगों की मांग पर कलश, दीये, ढक्कन व चुक्का आदि बनाये जाते हैं.
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मट्टिी के बरतन की घटी मांग
मिट्टी के बरतन की घटी मांगप्लास्टिक के बरतन के उपयोग से बढ़ रही बीमारियां : डॉ श्रीराम (फोटो नंबर-5) परिचय-मिटटी का बरतन सहेजता कुम्हार अंबा (औरंगाबाद)प्रखंड में कुम्हार जाति के लोग अपने पुसतैनी धंधे के अस्तित्व बचाने में लगे हैं. प्लास्टिक युग में मिट्टी के बरतन की मांग घट गयी है. बरतन बनानेवाले कुम्हार जाति […]
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