चितौड़गढ़ पर वीरेंद्र का कब्जा बरकरार

चितौड़गढ़ पर वीरेंद्र का कब्जा बरकरारभाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह को जनता ने नकारा जीत के बाद नवीनगर से लेकर औरंगाबाद में जश्न का माहौल(नवीनगर विधानसभा) औरंगाबाद (ग्रामीण)औरंगाबाद का हॉट सीट माना जानेवाला व चितौड़गढ़ के नाम से मशहूर नवीनगर पर महागंठबंधन के जदयू प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने अपना कब्जा बरकरार रखा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 8, 2015 7:00 PM

चितौड़गढ़ पर वीरेंद्र का कब्जा बरकरारभाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह को जनता ने नकारा जीत के बाद नवीनगर से लेकर औरंगाबाद में जश्न का माहौल(नवीनगर विधानसभा) औरंगाबाद (ग्रामीण)औरंगाबाद का हॉट सीट माना जानेवाला व चितौड़गढ़ के नाम से मशहूर नवीनगर पर महागंठबंधन के जदयू प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह ने अपना कब्जा बरकरार रखा है. वीरेंद्र कुमार सिंह चितौड़गढ़ के फिर महाराज बने हैं. उन्होंने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपाल नारायण सिंह को शिकस्त दी है. इस जीत के बाद नवीनगर से लेकर औरंगाबाद में जश्न का माहौल है. पार्टी के कार्यकर्ताओं की इस सीट पर नजर थी. वरिष्ठ नेता भी लगातार अपनी जीत का दावा कर रहे थे. वैसे यहां मुकाबला कांटे का माना जा रहा था, लेकिन यहां से गोपाल नारायण सिंह को करारी शिकस्त मिली है. चुनावी प्रचार अभियान के दौरान व चुनाव के बाद भाजपा कार्यकर्ता अपने जीत के दावे कर रहे थे. पार्टी के प्रत्याशी भी जीत के प्रति आश्वस्त थे. लेकिन उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया. नवीनगर व बारुण की जनता ने वीरेंद्र कुमार सिंह पर अपनी उम्मीद जताते हुए उनकी चुनावी नइया पार करायी. इधर, जीत की खबर जैसे ही मतगणना केंद्र के बाहर आयी, वैसे ही वीरेंद्र के समर्थकों ने जम कर अपनी खुशियां जाहिर की. नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, सोनिया, राहुल जिंदाबाद के नारे गूंजने लगे. राजद, कांग्रेस व जदयू कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे के गले लगा कर जीत की बधाई दी.विकास के पैमाने पर उतारूंगा खरा : वीरेंद्र चितौड़गढ़ पर लगातार दूसरी बार जीत के बाद जदयू प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि नवीनगर को विकास के मानचित्र पर खरा उतारने का हर प्रयास करूंगा. यह जीत आम अवाम के आशीर्वाद का परिणाम है. आम जनता ने अपना समर्थन देकर महागंठबंधन पर भरोसा जताया है. झूठ के जंगलराज के हवा को नकार दिया है. यह जीत नवीनगर की जनता की जीत है. एनडीए गंठबंधन की हवा निकल गयी. उन्होंने कहा कि नवीनगर विधानसभा क्षेत्र का सर्वांगीण विकास ही हमारा उद्देश्य है. वैसे भी हम इस क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं. हमारे विकास कार्यों का परिणाम है कि जनता ने दिल खोल कर अपना समर्थन दिया है. किसानों, मजदूरों, नौजवानों व बुजुर्गों के उम्मीदों पर हर हाल में खरा उतरेंगे. किसानों के खेतों में पानी पहुंचाऊंगा और उनके फसलों का लाभ बेहतर तरीके से दिलाऊंगा.सत्येंद्र नारायण को हरा कर सुर्खियों में आये थे वीरेंद्र नवीनगर विधानसभा क्षेत्र से गोपाल नारायण सिंह को मात देकर जीत का तीसरी बार परचम लहराये वीरेंद्र कुमार सिंह नवीनगर के तोल गांव के रहनेवाले हैं. 1995 में पहली बार नवीनगर से विधायक बने थे. 1996 के लोकसभा चुनाव में उन्हें सुर्खिया हासिल हुई. राजद के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. वीरेंद्र ने औरंगाबाद के कदावार नेता व पूर्व मुख्यमंत्री सत्येंद्र नारायण सिंह को लोकसभा चुनाव में शिकस्त दी. इस चुनाव के बाद वे स्टार बन गये. लेकिन ज्यादा दिन तक उनकी सांसदी नहीं रही. इसके बाद 2010 में नवीनगर विधानसभा क्षेत्र से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की. यह उनकी तीसरी जीत है. यानी तीसरी बार नवीनगर से विधानसभा पहुंचे हैं. वीरेंद्र कुमार सिंह की उम्र 61 वर्ष हो चुकी है. नवीनगर से ही मैट्रिक व इंटर किया. 1974 में मगध विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की. स्पष्ट तौर पर दिखी आपसी कलह नवीनगर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव पहले से ही सुर्खियों में था. यहां एनडीए की आपसी कलह भी स्पष्ट तौर पर दिखी. भाजपा-लोजपा-रालोसपा व हम पार्टी के गंठबंधन के दौरान लोगों को उम्मीद जगी थी कि लोजपा के पूर्व विधायक विजय कुमार सिंह उर्फ डब्ल्यू सिंह को एनडीए का प्रत्याशी बनाया जायेगा. हालांकि डब्ल्यू सिंह को हत्या के एक मामले में जेल जाने के बाद नवीनगर की तसवीर धुंधली पड़ी थी, फिर भी पूर्व विधायक और उनके समर्थकों व पार्टी कार्यकर्ताओं को एक उम्मीद थी कि पार्टी डब्ल्यू सिंह पर अपना विश्वास कायम रखेगी. लेकिन हुआ इसका उलटा. अचानक नवीनगर की राजनीति में भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह की इंट्री हुई. पार्टी ने अपना प्रत्याशी भी उन्हें घोषित कर दिया. इस घोषणा के बाद नवीनगर में जैसे आग लग गयी. यहां भी बाहरी व भीतरी के सवाल तैरने लगे. प्रारंभ में गोपाल नारायण सिंह को परेशानियों का सामना करना पड़ा. लेकिन फिर स्थिति सामान्य हो गयी. गोपाल नारायण सिंह ने चुनाव के उपरांत अपनी जीत का दावा किया था. भाजपा समर्थक भी जीत के प्रति आश्वस्त थे. लेकिन महागंठबंधन के बयार में सब कुछ बह गया.

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