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भागवत कथा मानव को सिखात सतकर्म पर चलना

भागवत कथा मानव को सिखात सतकर्म पर चलना(फोटो नंबर-8) परिचय-जयमाला करते श्रीकृष्ण व रूकमिणी कुटुंबा (औरंगाबाद) सुख व दुख में एक समान रहनेवाला व्यक्ति ब्रम्हा को प्राप्त करता है. संसार में भी उसका नाम सदैव अमर रहता है. ये बातें वृंदावन के संत प्रवर अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहीं. श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कुटुंबा में […]

भागवत कथा मानव को सिखात सतकर्म पर चलना(फोटो नंबर-8) परिचय-जयमाला करते श्रीकृष्ण व रूकमिणी कुटुंबा (औरंगाबाद) सुख व दुख में एक समान रहनेवाला व्यक्ति ब्रम्हा को प्राप्त करता है. संसार में भी उसका नाम सदैव अमर रहता है. ये बातें वृंदावन के संत प्रवर अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहीं. श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कुटुंबा में कथा के दौरान उन्होंने कहा कि ऐसा व्यक्ति अपनी नहीं बल्कि अपने नाम की चिंता करता है. कृष्ण के पास अपने कटे अंगुली बांधने के लिए कपड़ा नहीं था पर अपना नाम बचाने के लिए उन्होंने लाखों मीटर साड़ी द्रोपदी को दिया और उसकी लाज बचायी. जिस सागर को राम बिना सेतु के पार नहीं कर सके उसे हनुमान ने उनका नाम लेकर लांघ गये. उन्होंने भगवान से बढ़ कर भगवान ने नाम के महत्व को बताया. संत ने कहा कि भागवत कथा मानव को सतकर्म पर चलना सिखाती है. किसी पद को पाकर व्यक्ति को अपना पावर नहीं दिखाना चाहिए,बल्कि दास की भूमिका चाहिए. जिस दिन व्यक्ति पावर समझने लगता है उसी दिन से उसका महत्व घटने लगता है. उन्होंने प्रेम के तत्व पर भी चर्चा की और कहा कि प्रेम में ही ईश्वर का वास होता है. इस मौके पर वृंदावन के कन्हैया ब्रजवासी, अभिषेक पाठक, संजु शर्मा, विकास कुमार, चंद्रशेखर प्रसाद साहु आदि थे.कृष्ण विवाहोत्सव में झूम उठे श्रद्धालुश्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के छठे दिन भगवान श्रीकृष्ण व रूकमिणी की शादी का दृश्य मंच से दिखाया गया. स्थानीय बच्चियों के कृष्ण व रूकमिणी के रूप को देखते ही बन रहा था. शादी रस्म के समय मांगलिक व भक्ति गीतों से पूरा वातावरण गूंजायमान हो उठा. सखियां मेरी हाथों में मेहंदी लगा दो, मुझे श्याम सुंदर की दुल्हन बना दो, दूल्हा बने नंदलाल आदि गीतों को सुन कर कथा सुनने आयी महिलाएं तक थिरकने लगी. गोवास की खुशबू कृष्ण तो नेहा रूकमिणी का रूप धारण किया. कन्या पक्ष से मुखिया शकुंतला देवी तो वर पक्ष से आशा सिंह ने मांगलिक कार्य की भूमिका निभायी. बालु मिश्रा आचार्य तो पंकज कुमार ठाकुर बन कर शादी का रस्म पूरा कराया. पूजा, जूही, रीया, छोटी, निशा आदि ने रूकमिणी की सखिया बनी. ऐसा लग रहा था कि कृष्ण फिर से धरती पर आये हैं और उनकी शादी रचायी जा रही है.

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