समस्त वेदों का सार है श्रीमद् भागवत
समस्त वेदों का सार है श्रीमद् भागवत (फोटो नंबर-19) परिचय-प्रवचन के दौरान रंगरामानुजाचार्य व अन्य संत देवकुंड (औरंगाबाद) श्रीमद् भागवत समस्त वेदों का सार है. इस कथा में सच्चे संतों का चरित्र भी पारदर्शिता किया गया है. संत अपने सदुपयोग से जीव को ब्रहमय भावना बना देता है. ये बातें हसपुरा प्रखंड के वनकट कैथी […]
समस्त वेदों का सार है श्रीमद् भागवत (फोटो नंबर-19) परिचय-प्रवचन के दौरान रंगरामानुजाचार्य व अन्य संत देवकुंड (औरंगाबाद) श्रीमद् भागवत समस्त वेदों का सार है. इस कथा में सच्चे संतों का चरित्र भी पारदर्शिता किया गया है. संत अपने सदुपयोग से जीव को ब्रहमय भावना बना देता है. ये बातें हसपुरा प्रखंड के वनकट कैथी गांव में हो रहे श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ में तीसरे दिन प्रवचन के दौरान अनंत श्री विभूषित स्वामी रंगरमानुजाचार्य जी महाराज ने कहीं. उन्होंने कथा के माध्यम से कहा कि विश्व का सम्राट हिरण्य कशिपु सनातन श्री वैष्ण्व धर्म को नष्ट करने के लिए प्रत्यनशील था. उसकी पत्नी कयाधु गर्भवती थी. नारद जी ने अपने आश्रम पर ले जाकर ब्रहम, जीव, माया, कर्म व भक्ति स्वरूप का उपदेश कर गर्भस्थ शिशु को ज्ञानी बना दिया. नारद जी के उपदेश से कयाधु के गर्भस्थ शिशु भगवान का सच्चा भक्त बन गया था. उत्पन्न होने के बाद अध्ययनरत हुआ हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को गोद में बैठा कर पूछा कहो बेटा तुम क्या पढ़ते हो. प्रह्नलाद ने कहा कि पिताजी सही विद्या वही है जिसे भगवान के चरण कमलों में निर्मल प्रेम बन जाए. सा विद्या या विमुक्तेय मैं भगवान विष्णु के चरण कमलों में प्रेम करने के लिए पढ़ता हूं. अर्थशास्त्र, राजनीतिक शास्त्र आदि विद्याएं छल पूर्ण विद्याए हैं. इसे जीव का कल्याण नहीं हो सकता. जीवात्मा सच्ची शांति परमात्मा की सुख का अनुभव करना चाहता है तो उसे भगवान विष्णु के चरण कमलों में भक्ति करनी चाहिए. यज्ञ आयोजक बैजनाथ प्रसाद सिंह, सहयोगी विनोद शर्मा, सत्येंद्र शर्मा व पंकज शर्मा ने बताया कि गांव व क्षेत्र के कल्याणार्थ यह भागवत कथा यज्ञ की पूर्ण खर्च व व्यवस्था की जिम्मेवारी आयोजक द्वारा ही किया जा रहा है.