सूर्य नगरी के विकास के लिए डीएम ने बनायी रणनीति
सूर्य नगरी के विकास के लिए डीएम ने बनायी रणनीति तिरूपति के बालाजी मंदिर की तरह ही देव में व्यवस्था सूर्य नगरी देव का निखरेगा स्वरूप, व्यवस्था में भी लाया जायेगा परिवर्तन (फोटो नंबर-25,26) परिचय-सूर्य मंदिर, डीएम कंवल तनुज( पेज तीन का लीड) औरंगाबाद कार्यालयभगवान सूर्य की नगरी के नाम से देश-दुनिया में विख्यात देव […]
सूर्य नगरी के विकास के लिए डीएम ने बनायी रणनीति तिरूपति के बालाजी मंदिर की तरह ही देव में व्यवस्था सूर्य नगरी देव का निखरेगा स्वरूप, व्यवस्था में भी लाया जायेगा परिवर्तन (फोटो नंबर-25,26) परिचय-सूर्य मंदिर, डीएम कंवल तनुज( पेज तीन का लीड) औरंगाबाद कार्यालयभगवान सूर्य की नगरी के नाम से देश-दुनिया में विख्यात देव का स्वरूप बदलने वाला है. औरंगाबाद के जिला पदाधिकारी कंवल तनुज की बहुयामी सोच अगर सही मायने में धरातल पर उतरी तो देव सूर्य मंदिर की व्यवस्था भी तिरूपति के बालाजी मंदिर की तरह होगी. इनके अलावे देव शहर का भी सौंदर्यीकरण किया जायेगा और यहां आने वाले पर्यटकों से लेकर छठ व्रतियों को पेड़ की छांव में रात नहीं गुजारनी पड़ेगी, बल्कि इनके लिए धर्मशाला, यात्री गृह, विश्रामालय होंगे. जिसमें उन्हें आराम के साथ-साथ सुख -सुविधाएं भी प्रदान की जायेगी. जिला पदाधिकारी कंवल तनुज की सोच आगे क्या है यह भी आप जान लें. जिस रास्ते से छठ व्रती गुजरेंगे उस रास्ते में पूजन सामग्री की अनेक दुकानें होंगी. बाजार सजी रहेगी. यानी कि देव शहर का जो पुरानी बाजार है उससे हट कर नया बाजार भी लगनेवाले है. जिलाधिकारी ने इनके अलावे और कई रणनीति देव के विकास के लिए बनायी है, जिसकी खुलासा अभी उन्होंने नहीं की. शायद इस पर वे बुद्धिजीवियों व जानकार लोगों के साथ एक बैठक बुलानेवाले हैं और उस बैठक में जो निष्कर्ष निकलेंगे उसके आधार पर आगे की योजनाओं का अमलीजामा पहनाया जायेगा.मेले में समस्याओं को कर रहे थे बारीकी से अध्ययन : सूर्य नगरी देव में लगनेवाले चार दिवसीय छठ मेले में शासन-प्रशासन के लोग व्यवस्था संभाले हुए थे, लेकिन जिला पदाधिकारी के हाथों में व्यवस्था की कमान तो थी, साथ ही दिल और दिमाग दोनों में था यहां आनेवाले लोग कैसे ठहरते हैं. यहां उनको अर्घ दान करने में, मंदिर जाने में क्या कठिनाइयां होती है, भीड़ कितनी होती है और लोगों की कौन-कौन सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, इसका अध्ययन उन्होंने बारीकी से कर रहे थे. यहां लोगों को भीड़ से क्यों नहीं बचा सकते : डीएम जिला पदाधिकारी कंवल तनुज का स्पष्ट कहना है कि हम यहां आनेवाले लोगों को भीड़ की समस्या से कब तक जूझते हुए छोड़ देंगे. क्या हम इन्हें भीड़ से नहीं बचा सकते हैं. जब हर समस्या का समाधान है, तो इसका भी कोई न कोई समाधान तो होगा ही. तिरूपति बालाजी के मंदिर में लाखों लाख लोग आते हैं.अन्य कई मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. वहां उन्हें इस तरह की भीड़ की समस्या से जूझना नहीं पड़ता है. देव में भी हम लोगों को आराम से व्रत करने का व्यवस्था तो दे ही सकते हैं. लेकिन इसके लिए पहले सभी का वैचारिक सहयोग जरूरी है. जब सभी का विचार सामने आ जायेगा तो आगे जो भी निर्णय लिए जायेंगे निश्चित रूप से वह सफलीभूत होगा…और पहला प्रयोग रहा सफल सूर्य नगर देव में कार्तिक छठ व्रत में प्रति वर्ष पांच से 10 लाख लोग पहुंचते रहे हैं. इस बार भी व्रतियों की संख्या पहले की ही तरह थी, लेकिन जिला पदाधिकारी ने जो देव के लिए रोड मैप बनाया था. वह रोड मैप काफी कारगर साबित हुआ. इसका सबसे अधिक फायदा तो यह मिला कि जो भी वाहन छठ व्रतियों को लेकर यहां आ रहे थे. वाहनों का स्टैंड शहर के बाहर में बनाया गया था. वाहन से उतर कर यात्री सीधे देव शहर में प्रवेश कर रहे थे. शहर में मानव श्रृंखला बना कर आने व जाने के लिए रास्ऐ को दो भाग में बांट दिया गया था. प्रशासन के पदाधिकारी हर कदम पर तैनात थे. इसका स्वयं निगरानी जिलाधिकारी व एसपी कर रहे थे. यह व्यवस्था इतना कारगर साबित हुआ कि कभी भी लोगों को यह महसूस नहीं हो पाया कि भीड़ से हम परेशान हो रहे हैं. यह व्यवस्था को देख कर यहां आनेवाले लोग भी काफी खुश थे और प्रशासन द्वारा जो नियम बनाये गये थे उसको लोग बेहिचक पालन कर रहे थे, जिसके कारण इस बार भीड़ का एहसास लोगों को नहीं हो सका.