कुटुंबा (औरंगाबाद) : कुटुंबा प्रखंड के दक्षिणी क्षेत्रों में सूखे से हालात भयावह हो चुके हैं. स्थिति ऐसी है कि किसानों के खेत अभी भी परती दिखाई दे रहे हैं. उसमें मवेशियों के लिए चारा तक नहीं रह गया है.
किसान रबी के फसल लगाने के लिए प्रयास कर रहे हैं. पर, उन्हें अभी तक कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा बीज भी उपलब्ध नहीं कराया गया है. किसानों के पास ट्रैक्टर से खेती करने के लिए पैसे का अभाव है. किसान मजदूर समन्वय समिति अकाल सुखाड़ मामले को लेकर बिहार झारखंड के बॉर्डर संडा में 31 अगस्त को सड़क को काफी देर तक जाम की थी.
समझौता के क्रम में जिला से आये पदाधिकारी किसानों को स्थानीय समस्या समाधान करने का आश्वासन दिया था और यह भी कहा था कि सुखाड़ क्षेत्र में सबसे पहले रबी के बीज अनुदानित दर पर दिये जायेंगे. पर, अभी तक इस पर पहल नहीं किया जा सका. ऐसी स्थिति में किसान मायूस हैं.
सिरदर्द बनी धान की खेती
प्रखंड के उत्तरी क्षेत्र में जहां उत्तर कोयल नहर से सिंचाई होती है, वहां देर से धान की रोपनी होने के कारण धान के पौधे से अभी तक बाली नहीं निकल पायी है. किसान उक्त खेती के लिए जुताई, सिंचाई, खाद, बीज व मजदूरी में काफी रुपये खर्च किये हैं. उनका कहना है कि धान के फसल के साथ-साथ रबी की खेती भी नहीं हो पायेगी.
बीज नहीं मिलने से परेशानी
कुटुंबा विधानसभा सभा के दक्षिणी क्षेत्रों में अविलंब बीज उपलब्ध कराने की आवश्यकता है. पर, उन्हें बीज नहीं मिल पा रहा है. इस संबंध में किसान मजदूर समन्वय समिति के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद सिंह कहना है कि अधिकारियों को सुखाड़ से कोई लेना देना नहीं है.
उन्हें पहले कुटुंबा व नवीनगर प्रखंड में रबी महोत्सव कराना चाहिए था. इसके विपरीत यहां सबसे अंतिम में 23 व 25 नवंबर को किया जाना है. आगे इन्होंने कहा कि उस समय तक इन क्षेत्रों में रबी की खेती करने में किसानों को काफी परेशानी होगी और फसल में भी ह्रास होगा.