अब स्कूलों में नहीं होती बाल सभाएं
अब स्कूलों में नहीं होती बाल सभाएं हसपुरा (औरंगाबाद). विद्यालयों में पुरानी परंपरा अब समाप्त हो जाने से बाल सभाएं अब नहीं होती. इससे छात्र-छात्राएं इसके लाभ से वंचित हो रहे है. सरकारी विद्यालयों में सप्ताह के अंतिम दिन शनिवार को बाल सभा का आयोजन होता था. इसमें विद्यालय के बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते […]
अब स्कूलों में नहीं होती बाल सभाएं हसपुरा (औरंगाबाद). विद्यालयों में पुरानी परंपरा अब समाप्त हो जाने से बाल सभाएं अब नहीं होती. इससे छात्र-छात्राएं इसके लाभ से वंचित हो रहे है. सरकारी विद्यालयों में सप्ताह के अंतिम दिन शनिवार को बाल सभा का आयोजन होता था. इसमें विद्यालय के बच्चे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते थे. बाल सभा में बच्चों के बीच बाल विवाद प्रतियोगिता, भाषण तथा अंताक्षरी होता था. इसके कई तरह की बाहरी ज्ञान बच्चों को मिलता था और इससे बच्चों में बौद्धिक विकास होता था. यह सब अब पठन-पाठन के बदलते स्वरूप में सब समाप्त हो गया. बताया जाता है कि पठन-पाठन के बदले स्वरूप से बच्चों को किताबी ज्ञान तो मिल रहा है, लेकिन, सामाजिक ज्ञान बच्चों में समाप्त होते जा रहा है.