व्यवहार न्यायालय व अनुमंडलीय न्यायालय दाउदनगर में राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत आयोजित

व्यवहार न्यायालय व अनुमंडलीय न्यायालय दाउदनगर में राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत आयोजित 20,000 मामलों का निबटारा 18 तरह के मामलों के लिए 14 बेंच का किया गया था गठन आपसी समंजस्य से लोग करा सकते हैं वादों का निष्पादन : जिला जज न्यायपालिका बोलती कम है, काम ज्यादा करती है : डीएम(फोटो नंबर-7,8)कैप्शन- राष्ट्रीय मेगा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 12, 2015 6:53 PM

व्यवहार न्यायालय व अनुमंडलीय न्यायालय दाउदनगर में राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत आयोजित 20,000 मामलों का निबटारा 18 तरह के मामलों के लिए 14 बेंच का किया गया था गठन आपसी समंजस्य से लोग करा सकते हैं वादों का निष्पादन : जिला जज न्यायपालिका बोलती कम है, काम ज्यादा करती है : डीएम(फोटो नंबर-7,8)कैप्शन- राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत का उद्घाटन करते जिला जज ओमप्रकाश सिन्हा, डीएम कंवल तनुज व अन्य, कार्यक्रम में उपस्थित अधिकारी(पेज तीन का लीड) औरंगाबाद (नगर)व्यवहार न्यायालय में शनिवार को राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार के निर्देश पर राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसका उद्घाटन जिला व सत्र न्यायाधीश ओमप्रकाश सिन्हा, जिलाधिकारी कंवल तनुज, कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश ओमप्रकाश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. इस मौके पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए जिला जज ने कहा कि राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य है कि लोग सूलहनीय वादों का आपसी समंजस्य के साथ कर सकें. पूरे देश में तीन सौ करोड़ मामले न्यायालय में लंबित हैं, जिसमें अधिकतर मामले ऐसे हैं जिसे सुलह के माध्यम से निष्पादित किया जा सकता है. राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत में बैंक पदाधिकारी यदि काम में रुचि सही तरीके से ले लेते हैं तो लंबित वादों का निष्पादन सही समय पर तेजी से किया जा सकता है. जिलाधिकारी कंवल तनुज ने कहा कि न्यायपालिका बोलती कम है, काम ज्यादा करती है. न्यायपालिका का जो इतिहास है वह किसी से छुपा नहीं है. वादों को न्यायालय में लंबित रहने से आम लोगों का रोजमर्रे की जिदंगी को प्रभावित करता है. कम समय में सुलह के आधार पर वादों का निष्पादन हो सके उसी उद्देश्य को लेकर लोक अदालत लगाया गया है. लोक अदालत का महत्व तभी साकार होगा जब लोग जागरूक होंगे. बैंक अधिकारी अपना लचीलापन दिखाये तो जो बैंक के वाद हैं वह कम समय में निष्पादित हो सकते हैं. बैंक के अधिकारी चाहें तो लोक अदालत से लोग मुस्कान आसानी से पा सकते हैं. व्यवहार न्यायालय व अनुमंडलीय न्यायालय दाउदानगर में 18 तरह के मामले को जैसे दीवानी, फौदारी, अपराधिक, मनरेगा, राजस्व, घरेलू महिला उत्पीड़न, बैंक सहित अन्य को निष्पादन करने के लिए 14 बेंच का गठन किया गया था. इस राष्ट्रीय मेगा लोक अदालत में 20 हजार से अधिक मामले का निष्पादन किया गया. इस मौके पर एडीएम सुरेश प्रसाद साह, डीडीसी संजीव कुमार सिंह, डीएसपी सुनील कुमार, सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह, एसडीओ सुरेंद्र प्रसाद, विधि संघ अध्यक्ष रसिक बिहारी सिंह, सतीश कुमार स्नेही सहित न्यायपालिका, कार्यपालिका के अलावे अधिवक्ता व प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे.

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