छात्राओं के लिए छात्रावास जरूरी
छात्राओं के लिए छात्रावास जरूरी गांवों से महिला महाविद्यालय आने में छात्राओं को हो रही काफी परेशानीफोटो नंबर-23,परिचय- महिला महाविद्यालय दाउदनगरदाउदनगर ( अनुमंडल). अनुमंडल मुख्यालय में महिला महाविद्यालय की 1983 में स्थापना होने के बाद छात्राओं के लिए बेहतर यह हुआ कि उनके लिए एक अलग से विशेष तौर पर काॅलेज हो गया. भले ही […]
छात्राओं के लिए छात्रावास जरूरी गांवों से महिला महाविद्यालय आने में छात्राओं को हो रही काफी परेशानीफोटो नंबर-23,परिचय- महिला महाविद्यालय दाउदनगरदाउदनगर ( अनुमंडल). अनुमंडल मुख्यालय में महिला महाविद्यालय की 1983 में स्थापना होने के बाद छात्राओं के लिए बेहतर यह हुआ कि उनके लिए एक अलग से विशेष तौर पर काॅलेज हो गया. भले ही वित्तरहित ही सही. अलग काॅलेज होने से छात्राएं इस कॉलेज में स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण करने लगी. अनुमंडल मुख्यालय के अलावे ओबरा, हसपुरा, गोह व समीपवर्ती अरवल जिले की कलेर व मेहंदिया आदि क्षेत्रों की छात्राएं इस कॉलेज में प्रतिदिन पढ़ाने आती है. कालेज सूत्रों के अनुसार, औसतन 800 से 1000 तक की संख्या में छात्राएं काॅलेज पहुंचती है. लेकिन आवागमन सुविधा नहीं होने के कारण नियमित काॅलेज पहुंचने में छात्राओं को परेशानी होती है. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं को लंबी दूरी तय कर परेशानियों के बीच काॅलेज पहुंचना पड़ता है. छात्राएं गांवों से पैदल चल कर मुख्य सड़क पर पहुंचती हैं, जहां लंबे इंतजार के बाद यात्री बसों पर सवार होकर दाउदनगर के भखरूआ मोड़ पहुंचती है और वहां से ऑटो से कॉलेज तक पहुंचती है. इससे समझा जा सकता है कि छात्राओं को घर से निकलकर काॅलेज तक आवागमन करने में कितनी परेशानियां झेलनी पड़ती होगी. ऐसी परिस्थिति में छात्राओं के लिए छात्रावास ही एक मात्र विकल्प दिखता है. अर्चना कुमारी, प्रिया कुमारी, जया कुमारी, उर्मिला कुमारी, मंजु कुमारी, रश्मि कुमारी आदि छात्राओं ने कहा कि शहर में छात्राओं के लिए अलग छात्रावास की व्यवस्था होनी चाहिए. इससे सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को शैक्षणिक दृष्टिकोण से काफी लाभ होगा.