अब चतरा के जंगल में शरण ले रहे नक्सली : एसपी
अब चतरा के जंगल में शरण ले रहे नक्सली : एसपीनक्सलियों के ठिकानों पर लगातार सात दिनों तक पुलिस ने संभाले रखा मोरचा (फोटो नंबर-16)कैप्शन- एसपी बाबू राम औरंगाबाद (कार्यालय)औरंगाबाद के जंगल से नक्सली भाग कर चतरा जिले के जंगल में शरण ले लिये हैं. यहां की पुलिस सात दिन तक जंगल में रह कर […]
अब चतरा के जंगल में शरण ले रहे नक्सली : एसपीनक्सलियों के ठिकानों पर लगातार सात दिनों तक पुलिस ने संभाले रखा मोरचा (फोटो नंबर-16)कैप्शन- एसपी बाबू राम औरंगाबाद (कार्यालय)औरंगाबाद के जंगल से नक्सली भाग कर चतरा जिले के जंगल में शरण ले लिये हैं. यहां की पुलिस सात दिन तक जंगल में रह कर नक्सलियों को बैक फुड पर ढकेल दिया है. यह दावा औरंगाबाद एसपी बाबू राम का है. गुरुवार को नगर थाने में एसपी ने कहा कि अब यहां की पुलिस भी जंगल में रहने का तरीका जान गयी है. सात दिन तक लगातार यहां की पुलिस जंगल में रही है और नक्सलियों को जंगल छोड़ने को विवश कर दिया. पुलिस के भय से नक्सली भाग कर हंटरगंज जंगल में जाकर छीप गये हैं. एसपी ने कहा कि सात दिन तक लगातार नक्सलियों के विरूद्ध सागरपुर, छकरबंधा, नौलखा डैम, बादम सहित उनका शरण स्थली पर ऑपरेशन चलाया गया है, वहां पर पुलिस रही. पुसिस के लिए खाना व अन्य सामग्री हेलीकॉप्टर से भेजी जा रही थी. कहीं कोई परेशानी नहीं हो रही थी. इससे यहां की पुलिस यह महसूस भी कर रही थी कि चाहे कैंप में रहे या जंगल में कोई फर्क नही पड़ता. एसपी ने कहा कि मैं खूद सात दिन तक जंगल में रहना चाह रहा था, लेकिन विभिन्न कारणों से मुझे मौका नहीं मिला. उनसे पूछा तो क्या आप जंगल में रहे हैं, तो एसपी ने कहा कि पिछले बार जब ऑपरेशन चलाया गया था तो लगातार दो दिन तक हम जंगल में ही थे और हम कोई परेशानी नहीं हुई. एसपी ने बेहिचक कहा कि अब और तब की स्थिति काफी बदल चुकी है. नक्सलियों से अधिक अब यहां के जवान जंगल में रह सकते हैं, इस बार इनलोगों ने साबित कर दिया है. दूसरा यह कि नक्सलियों के रहने के लिए ये जंगल कम पड़ जा रहा है तभी तो नक्सलियों के जो मुख्य सरगना संदीप है वह अपनी पूरी टीम के साथ यहां से पलायन कर गया है. लोगों का मिल रहा सहयोग : एसपी बाबू राम ने कहा कि आत्मसमर्पण करनेवाले पूर्व नक्सली संजय यादव के घर को नक्सलियों ने ध्वस्त कर दिया, उस घर को पुन: निर्माण के लिए यहां की जनता तैयार है. कई ऐसे लोग सामने आये हैं जो संजय यादव के ध्वस्त घर को बनाने में अपना सहयोग कर सकते हैं. यह दर्शाता है कि यहां की जनता नक्सली संगठनों से अपना पीछा छुड़ाना चाहती है और यहां की पुलिस आम जनता में विश्वास पैदा कर रही है.