थम नहीं रहा भाजपा में अंतर्कलह
थम नहीं रहा भाजपा में अंतर्कलह धरने में भी हुई राजनीति, पार्टी की ओर सांसद को सूचना नहीं औरंगाबाद कार्यालय.विधानसभा चुनाव में भारी पराजय झेलने के बावजूद भाजपा का अंतर्कलह नहीं थमा रहा है. इसका स्पष्ट नजारा देखने को मिला सोमवार को समाहरणालय के पास किसानों के धान खरीद के मुद्दे को लेकर भाजपा द्वारा […]
थम नहीं रहा भाजपा में अंतर्कलह धरने में भी हुई राजनीति, पार्टी की ओर सांसद को सूचना नहीं औरंगाबाद कार्यालय.विधानसभा चुनाव में भारी पराजय झेलने के बावजूद भाजपा का अंतर्कलह नहीं थमा रहा है. इसका स्पष्ट नजारा देखने को मिला सोमवार को समाहरणालय के पास किसानों के धान खरीद के मुद्दे को लेकर भाजपा द्वारा आयोजित धरना में. यहां धरना तो काफी पहले से शुरू था, लेकिन औरंगाबाद सांसद पहुंचे तब जब प्रतिपक्ष के नेता डॉ प्रेम कुमार धरना स्थल पर पहुंचे. धरने को संबोधित प्रतिपक्ष के नेता डॉ प्रेम कुमार ने किया और जब वे जाने लगे तो सांसद भी उनके साथ चले गये. साथ ही उन्होंने ने संबोधन भी नहीं किया. सांसद के जाते ही यह चर्चा शुरू हो गयी कि आखिर वे पहले क्यों नहीं आये. इस जिले में भाजपा का सबसे बड़े नेता तो सांसद सुशील कुमार सिंह ही है. धरनास्थल पर दूसरा नजारा यह दिखा कि गोह विधायक मनोज कुमार व हसपुरा के भाजपा कार्यकर्ता विजय अकेला में कुछ तीखी बातें हुई. मामला को उलझते देख सांसद सुशील कुमार सिंह को हस्ताक्षेप करना पड़ा. इस मसले पर गोह विधायक मनोज कुमार ने कहा कि विजय अकेला चुनाव के समय पार्टी से इस्तीफा दे दिये थे और चुनाव में हमारा विरोध कर रहे थे. जब हमने धरना स्थल पर देखा तो उनसे पूछा की आप पार्टी में तो नहीं है, धरना में कैसे आये है. मेरा पूछना उचित था. चूंकि वे पार्टी से अलग हो गये थे. उधर, विजय अकेला का कहना था कि हम पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं. इसलिए धरना पर आये थे और हमें सांसद ने धरना में आने के लिए कहा था, इसलिये आये थे. यहां पर गोह विधायक को इस तरह पूछने का कोई अधिकार नहीं है. इन दोनों का जो पक्ष सामने आया है वह भी इस बात का संकेत दे रहा है कि भाजपा में अंतर्कलह और बढ़ गया है.इधर, सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि मुझे पार्टी द्वारा धरने की सूचना नहीं दी गयी थी. प्रतिपक्ष के नेता डॉ प्रेम कुमार ने मुझे इसकी जानकारी दी थी और धरने पर आने के लिए कहा था. सांसद ने यह भी कहा कि यह धरना किसानों के मुद्दों को लेकर थी. यह आंदोलन जनता से जुड़ी थी,इसिलये मैं वहां पर गया था. चूंकि एक तरफ किसान अकाल से पीड़ित है. बिहार सरकार किसानों को उपज की सही मूल्य नहीं दे रही है. किसान परेशान है. मैं इनका जनप्रतिनिधि हूं. मेरी जिम्मेवारी बनती है कि इस तरह की समस्याओं को लेकर पार्टी के साथ खड़ा रहूं. सांसद को नहीं दी थी सूचना : जिलाध्यक्ष भाजपा जिलाध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार सिंह ने स्वीकार किया है कि धरने की सूचना हमने सांसद को नहीं दी थी. जिलाध्यक्ष ने कहा कि यह पार्टी का राज्यव्यापी कार्यक्रम है. सांसद को सूचना तो होगी ही,लेकिन जब उनसे पूछा गया कि पार्टी के जिलाध्यक्ष आप थे और आपकी जिम्मेवारी बनती थी कि पार्टी के सांसद, विधायक या बड़े नेताओं को इसकी सूचना देना. इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता को जानकारी थी और मैं सबको सम्मान करता हूं. ऐसे मेरा कार्यकाल बहुत कम दिन का बचा हुआ है. पार्टी का संगठनात्मक चुनाव होनेवाला है. इसी को लेकर व्यस्तता बढ़ी हुई है. जिलाध्यक्ष ने धरना स्थल को गोह विधायक मनोज कुमार व पार्टी नेता विजय अकेला के बीच हुई नोकझोंक की घटना से अनभिज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों के बीच नोकझोंक होते हमने नहीं देखा था.