महिला कॉलेज की प्रयोगशाला बना कबाड़खाना
महिला कॉलेज की प्रयोगशाला बना कबाड़खानाप्रयोगशाला रूप में न कोई संसाधन है न कोई सामग्रीरूम में रद्दी कागज व कचरे का ढेर बिखरा पड़ाप्रतिनिधि, नवीनगर (औरंगाबाद)नवीनगर प्रखंड क्षेत्र में 1985 में महिला कॉलेज की स्थापना स्वर्गीय यमुना सिंह द्वारा की गयी, जिसकी प्रस्वकृति 1988 में प्राप्त हुई. इसके बाद महिला काॅलेज में छात्राओं का शिक्षण […]
महिला कॉलेज की प्रयोगशाला बना कबाड़खानाप्रयोगशाला रूप में न कोई संसाधन है न कोई सामग्रीरूम में रद्दी कागज व कचरे का ढेर बिखरा पड़ाप्रतिनिधि, नवीनगर (औरंगाबाद)नवीनगर प्रखंड क्षेत्र में 1985 में महिला कॉलेज की स्थापना स्वर्गीय यमुना सिंह द्वारा की गयी, जिसकी प्रस्वकृति 1988 में प्राप्त हुई. इसके बाद महिला काॅलेज में छात्राओं का शिक्षण कार्य शुरू हुआ, लेकिन अब तक यहां पढ़ाई के पर्याप्त संसाधन पूर्ण नहीं हो सका. इस कॉलेज की प्रयोगशाला देख कर ऐसा लगता है जैसे कोई कबाड़खाना हो. प्रयोगशाला रूप में न कोई संसाधन है न कोई सामग्री. इस रूम में रद्दी कागज और कचरे का ढेर बिखरा पड़ा है, जिससे जो साफ तौर पर पता चलता है कि इस कॉलेज में प्रयोगशाला का कोई उपयोग नहीं किया जाता है. इस कारण यहां की छात्राओं को लैब से संबंधित किसी तरह की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती है. कॉलेज की प्रयोगशाला में चार-चार शिक्षक कार्यरत हैं. गृह विज्ञान से लेकर भूगोल, मनोविज्ञान के अलावा एक लैब व्यवस्थापक भी हैं. लेकिन, लैब का कहीं कोई नामोनिशान तक नहीं है. संसाधनों की घोर कमी के बावजूद प्रखंड क्षेत्र का इकलौता महिला कॉलेज होने के कारण यहां दाखिला लेनेवाली छात्राओं की संख्या में बढ़ती जा रही है, पर उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. स्थिति यह है कि यहां विषयवार न तो शिक्षक हैं और न ही भवन. इस कॉलेज में सुदूरवर्ती क्षेत्रों से अधिकतर गरीब वर्ग की छात्राएं पढ़ने आती हैं. प्रयोगशाला नहीं होने के कारण इस महाविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं को काफी कठिनाई होती है. कॉलेज के प्राचार्य भी संसाधन बढ़ाने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं. इस संबंध में पूछने पर प्राचार्य शकीला बानो कबाड़खाना बने रूम को दिखाते हुए कहती हैं कि इसी रूम में प्रयोगशाला चलायी जाती है. देखने पर पता चला कि उस रूम में एक आलमारी व एक बक्सा के अलावा लैब से संबंधित किसी तरह की सामग्री उपलब्ध नहीं थी.