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1988 से रक्ति है प्रधानाध्यापक का पद

1988 से रिक्त है प्रधानाध्यापक का पदमनिका राजकीयकृत इंटर विद्यालय स्कूल में संसाधनों की कमी (फोटो नंबर-12,13)कैप्शन-इंटर विद्यालय मनिका, पढाई करती छात्राएं(कैंपस पेज के लिये) कई विषय के शिक्षक भी नहींप्रतिनिधि, मदनपुर (औरंगाबाद)मदनपुर प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाके में स्थापित मनिका राजकीयकृत अवासीय इंटर विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है. यहां न तो सभी […]

1988 से रिक्त है प्रधानाध्यापक का पदमनिका राजकीयकृत इंटर विद्यालय स्कूल में संसाधनों की कमी (फोटो नंबर-12,13)कैप्शन-इंटर विद्यालय मनिका, पढाई करती छात्राएं(कैंपस पेज के लिये) कई विषय के शिक्षक भी नहींप्रतिनिधि, मदनपुर (औरंगाबाद)मदनपुर प्रखंड के सुदूर ग्रामीण इलाके में स्थापित मनिका राजकीयकृत अवासीय इंटर विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है. यहां न तो सभी विषय के शिक्षक हैं और न ही कमरे. आज जिस तरह से विद्यालय में छात्र-छात्राओं की संख्या बढ रही है, उसके मुताबिक संसाधन नहीं बढ़ाये जाने के कारण छात्रों को काफी परेशानी हो रही है. छात्र विद्यालय तो जरूर आते हैं, पर शिक्षक नहीं रहने के कारण उन्हें बिना क्लास के ही वापस लौट जाना पड़ता है, जिन विषय के शिक्षक नहीं हैं उन विषय के छात्रों की पढ़ाई दूसरे विषय के शिक्षकों द्वारा करायी जाती है. इस विद्यालय में मदनपुर व देव प्रखंड के जंगलतटीय इलाके के भी छात्र-छात्रा पहुंचते हैं, पर उनकी सिर्फ उपस्थिति दर्ज की जाती है. आज छात्रों को इस विद्यालय से मैट्रिक , इंटर की डिग्री मिल जाती है पर शिक्षकों के अभाव होने के कारण उन्हें किताबी ज्ञान नहीं मिल पाता. इस स्कूल में नौवीं से इंटर तक की पढ़ाई होती है. करीब 600 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. हिन्दी, अंगरेजी व विज्ञान के एक भी शिक्षक नहीं हैं. उच्च माध्यमिक में साइंस के एक भी शिक्षक नहीं हैं. वहीं कमरों का घोर अभाव है. मात्र छह कमरे में सभी छात्र-छात्राओं की पढ़ाई होती है. पेयजल सुविधा के लिए दो चापाकल लगाये गये हैं, जिसमें एक खराब पड़ा हुआ है. प्राचार्य का पद है रिक्तवर्ष 1988 से अभी तक प्राचार्य का पद रिक्त है. इस पर न तो शिक्षा विभाग गंभीर हुआ और न ही जिला प्रशासन. प्रधानाध्यापक पद रिक्त होने के कारण विद्यालय की देखरेख नहीं हो पा रह है. इस दिशा में प्रभारी प्रधानाध्यापक द्वारा कई बार विभाग को आवेदन लिखा गया, इसके बावजूद भी पहल नही हुई. इसी कारण आज विद्यालय का चहारदीवारी निर्माण भी नही हुआ. प्रभारी प्रधानाचार्य बालानंद पाठक ने बताया कि विद्यालय की स्थापना 1982 में हुई. उस समय छात्र-छात्राओं की संख्या काफी कम थी. अब धीरे-धीरे संख्या मे बढोतरी हो रही है, पर संसाधन नहीं बढ़ाये जाने के कारण परेशानी हो रही है.

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