सैकड़ों वाहन उगल रहे जहर, फैल रहा प्रदूषण
औरंगाबाद (सदर) : शहर में पुराने व खटारे वाहन पर किसी प्रकार को कोई प्रतिबंध नहीं दिखता. इस दिशा में परिवहन विभाग शायद गंभीर नहीं है. शहर में लगभग सैकड़ों ऐसे वाहन चल रहे हैं जो शहर में जहर उगल रहे हैं. पुराने व खटारे वाहनों से निकलता जहरीला धुंआ वातावरण को प्रदूषित करने व […]
औरंगाबाद (सदर) : शहर में पुराने व खटारे वाहन पर किसी प्रकार को कोई प्रतिबंध नहीं दिखता. इस दिशा में परिवहन विभाग शायद गंभीर नहीं है. शहर में लगभग सैकड़ों ऐसे वाहन चल रहे हैं जो शहर में जहर उगल रहे हैं.
पुराने व खटारे वाहनों से निकलता जहरीला धुंआ वातावरण को प्रदूषित करने व लोगों को बीमार बनाने के लिए काफी हैं. ऐसे कई वाहन सड़कों पर जहर उगलते चल रहे हैं, जो 15 वर्ष से भी पुराने हैं. हालांकि हाइकोर्ट व मुख्यमंत्री के आदेश पर पुराने वाहनों को पटना जैसे बड़े शहरों से हटाने का आदेश जारी किया गया है.
एमवीआइ रंजीत कुमार बताते हैं कि औरंगाबाद जैसे शहरों से पुराने व खटारे वाहनों को हटाने से संबंधित निर्देश राज्य परिवहन प्राधिकार से प्राप्त नहीं हुआ है. ऐसे में प्रदूषण को बढ़ा रही डीजल गाड़ियों को रोकने में परिवहन विभाग पंगु बना बैठा है. एमवीआइ बताते हैं कि निजी वाहन जो भी हैं उनका नवीनीकरण फिटनेश के आधार पर किया जाता है, लेकिन देखा जाये तो कॉमर्सियल वाहनों पर भी प्रतिबंध बेहद जरूरी है. पुरानी डीजल गाड़ियों के परमिट का नवीनीकरण किये जाने के बावजूद भी कई ऐसे वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ रहे हैं, जो सिर्फ जहर उगलते हैं.
शहर के मेन रोड के व्यवसायियों का कहना है कि पुरानी गाड़ियों के फिटनेश व प्रमाण पत्र पर रोक लगनी चाहिए. ऐसे वाहन सिर्फ शहर को प्रदूषित कर रहे हैं. दुकानदार मोहम्मद असलम, अमर कुमार, सुनील कुमार, जितेंद्र कुमार, संजय कुमार सहित अन्य लोगों से जब इस पर बात की गयी तो इनका कहना था कि शहर में प्रदूषण फैलाते ऐसी कई गाड़ियां है जो सड़कों पर चलते दिख जाते हैं.
काला धुंआ फेंकते ये वाहन अगर किसी के दुकान से गुजर जाये तो थोड़े देर के लिए लोगों की सांस रुक जाती है. वहीं जुगाड़ गाड़ियों से भी वातावरण प्रदूषित हो रहा है. संभव हो तो परिवहन विभाग पुराने व खटारे वाहनों को परमिट ही न दे.